संदेह के आधार पर डॉ जितेंद्र यादव का दर्ज कराया केस जांच में झूठा निकला

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) सपा नेता जितेंद्र सिंह यादव के द्वारा संदेह के आधार पर दर्ज कराया गया मुकदमा जांच में झूठा पाया गया है। पुलिस ने आरोपियों को क्लीन चिट देकर छोड़ दिया है। पुलिस अधीक्षक के प्रवक्ता ने बताया कि मुकदमे की जांच एसएसआई जगदीश वर्मा के द्वारा की गई। जिन्होंने अभियुक्त गणों का आपस में मोबाइल नंबरों से वार्ता होना नहीं पाया है।

आरोपी अभिषेक प्रताप उर्फ एपी की सचिन यादव के मोबाइल नंबर पर व आदिल खान के मोबाइल नंबर पर किसी प्रकार की बातचीत होने के प्रमाण नहीं मिले। ऑडियो रिकॉर्डिंग के सुनने से आदिल एवं एपी की आवाज प्रमाणित नहीं हुई है, और न ही इस संबंध में एडवोकेट चंद जीत सिंह के मोबाइल पर ऑडियो रिकॉर्डिंग भेजने वाले भुल्लन से उसके बयान के मुताबिक कोई प्रमाण प्राप्त नहीं हुए।

भुल्लन से उसका मोबाइल उपलब्ध कराने हेतु कहा गया तो उसने अपना मोबाइल फोन उपलब्ध नहीं कराया। भुल्लन ने बताया गया कि मेरा मोबाइल कहीं गिर गया है। विवेचना में घटना के संबंध में भुल्लर के द्वारा अधिक शराब के नशे में बातचीत करना किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ऑडियो रिकॉर्डिंग कर लेना पाया गया। जिसमें भय व‌ संदेह के आधार पर जितेंद्र सिंह के द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया है।

विवेचना से अपराध प्रमाणित नहीं होता है आरोप असत्य पाए जाने पर अभियोग की विवेचना जरिए अंतिम रिपोर्ट निरस्त की गई। विवेचना से यह तथ्य प्रकाश में आया है कि आरोपी नामित आदिल खान पूर्व में एटीएस सिक्योरिटी के माध्यम से जितेंद्र यादव का पीसीओ रहा। जिसकी भूल्लन यादव व एपी के माध्यम से बातचीत होना नहीं पाया गया है। मालूम हो कि पुलिस ने बीते दिनों आरोपी अभिषेक प्रताप सिंह को छोड़ दिया था और आज दूसरे आरोपी आदिल खान को भी रिहा कर दिया है।
बीते दिनों मेजर एसडी सिंह मेडिकल कॉलेज निवासी डा जितेंद्र सिंह यादव ने थाना मऊदरवाजा के ग्राम ढिलावल निवासी आदिल पुत्र भीकम खान एवं थाना नवाबगंज के ग्राम दुनाया निवासी अखिलेश प्रताप सिंह उर्फ एपी पुत्र अतिबल सिंह उर्फ बिल्लू यादव के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

थाना मऊदरवाजा पुलिस ने अपराध संख्या 320/ 22 धारा 115 व 120 बी के तहत रिपोर्ट दर्ज की। रिपोर्ट के मुताबिक मेजर एसडी सिंह मेडिकल कॉलेज प्रबंध समिति के सचिव डॉ जितेंद्र सिंह यादव ने वर्ष 2012 में जनक्रांति पार्टी से विधानसभा अमृतपुर क्षेत्र से विधायक का चुनाव लड़ा था। जिसमें समाजवादी पार्टी की टिकट पर नरेंद्र सिंह यादव चुनाव जीते थे तथा डॉ जितेंद्र सिंह यादव दूसरे स्थान पर रहे।

वर्ष 2022 में समाजवादी पार्टी ने जितेंद्र सिंह यादव को टिकट दिया इनके मुकाबले पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह यादव निर्दलीय चुनाव लड़े। इस चुनाव में डॉ जितेंद्र सिंह यादव व नरेंद्र सिंह दोनों ही चुनाव हार गए थे। नरेंद्र सिंह यादव की राजनीतिक विरासत यादव मतदाताओं के जितेंद्र सिंह यादव के साथ चले जाने के कारण उनका परिवार डॉक्टर से कट्टर रंजिश मानने लगा।
उसकी वार्ता में भैया शब्द का इस्तेमाल कई बार किया गया है तथा रिकॉर्डिंग में भैया का राजनीतिक नुकसान की बात डॉक्टर के द्वारा चुनाव लड़ने के कारण कही गई। उसकी वार्ता में भैया शब्द का इस्तेमाल कई बार किया गया है तथा रिकॉर्डिंग में भैया का राजनीतिक नुकसान की बात डॉक्टर के द्वारा चुनाव लड़ने के कारण कही गई। डॉ जितेंद्र सिंह ने जब अभिषेक प्रताप से संपर्क किया तब उसने डॉक्टर को अवगत कराया कि उक्त कार्य करने के लिए आदिल पुत्र भीकम खान जो जनपद एटा थाना नौगवां का मूल निवासी है।

नरेंद्र सिंह यादव के पुत्र सचिन यादव ने आदिल को मोहल्ला नई बस्ती स्थित कोठी पर बुलाया था। वहीं पर डॉक्टर की हत्या कराने के मकसद से इंतजाम करने के लिए कहा था। रिपोर्ट में डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा है कि मेरी अन्य किसी से जनपद में राजनीतिक प्रतिद्वंदिता नहीं है परिस्थितियों बस केवल इसी परिवार से राजनैतिक प्रतिद्वंदिता बन गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *