मैनपुरी उपचुनाव: यादवलैंड में “शाक्य” वोटर बन गए है अहम ! दिनेश शाक्य

इटावा मैनपुरी।  (दिनेश शाक्य की रिपोर्ट) समाजवादी पार्टी के संस्थापक जननायक नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई प्रदेश की यादव बाहुल्ल मैनपुरी संसदीय सीट पर शाक्य मतदाता इन दिनों सबसे अहम बन गए है। मैनपुरी संसदीय सीट पर करीब 17 लाख मतदाता है, इनमे करीब साढ़े 4 लाख यादव मतदाता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर शाक्य वोटर है जो करीब तीन लाख के आसपास है।

समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी संसदीय सीट से प्रत्याशी डिम्पल के नाम की घोषणा के साथ ही आलोक शाक्य को अपना जिलाध्यक्ष घोषित किया। आलोक शाक्य तीन दफा विधायक और एक बार अखिलेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। समाजवादी पार्टी के इस दांव को उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। मैनपुरी लोकसभा सीट पर यादवों के बाद सबसे अधिक शाक्य वोटर हैं।

ऐसे में सपा के इस कदम को शाक्य मतदाताओं को रिझाने का प्रयास माना गया। आलोक शाक्य भोगांव विधानसभा सीट पर वर्ष 2002, 2007 और 2012 में लगातार तीन चुनाव जीते थे। उनके पिता स्व0 रामऔतार शाक्य भी दो बार विधायक रहे। मैनपुरी लोकसभा सीट पर पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की बाहुल्यता है। इनमें से 45 फीसद मतदाता यादव समाज के हैं और उनके शाक्य मतदाताओं का नंबर आता है।

इसी जातीय समीकरण के चलते शाक्य मतदाताओं का समर्थन लोकसभा उपचुनाव में महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ष 2014 के उपचुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा भी इसी रणनीति को आजमा चुकी है। दोनों चुनावों में भाजपा ने प्रेम सिंह शाक्य को प्रत्याशी बनाया था। भाजपा नेता आरोप लगाते है कि राज्य में भाजपा के सत्ता में आने से पहले, लोग “गुंडों और भूमाफिया (भूमि कब्जाने वालों) के आतंक में जी रहे थे और महिलाएं अपने घरों से बाहर जाने से डरती थीं।

लेकिन अब लोगो को डराना संभव नहीं होगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि यादव लैंड में नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हो रहे मैनपुरी संसदीय सीट के उपचुनाव में शाक्य वोटर इस समय सबसे अहम बन गए है। जहा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी शाक्य वोटर के भरोसे भगवा फहराने की जुगत में है वही दूसरी ओर समाजवादी पार्टी शाक्य वोटरों से अपनी निकटता का हवाला देते हुए विरासत बचाने का प्रयास कह रही है।

बेशक मैनपुरी संसदीय क्षेत्र का मिजाज यादव बाहुल्य है लेकिन इस सीट पर इन दिनों शाक्य मतदाता सबसे अधिक चर्चा के केंद्र में हैं। भाजपा नेता ऐसा कहते हुए देखे जा रहे हैं कि यादव मतदाताओं के प्रभाव वाली मैनपुरी संसदीय सीट के पिछले चुनावों में शाक्य मतदाताओं को वोट डालने की आजादी नहीं मिली थी। इसीलिए नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद भाजपा के नेता शाक्य मतदाताओं से इस बात की अपील करने में जुटे हुए हैं कि शाक्य कुशवाहा मौर्य सैनी समाज को डरने की कोई जरूरत नहीं है।

बेफिक्र होकर खुलकर वोट डालिएगा कोई डरा धमका नही सकता है। भाजपा नेताओं की इस अपील के इतर अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल ने कई सभाओं में बोला है कि बताइये हमको बदनाम किया जा रहा है कि हम लोग अपने इलाके में लोगों को वोट नहीं डालने देते। अगर हम लोग वोट नही डालने देते है मैं कैसे जीत रहा हूं। बीजेपी की सांसद गीता शाक्य कहती हैं कि राज्यसभा सदस्य बनने के बाद अपनी जाति के 9 फीसदी मतों को बीजेपी के पक्ष में लामबंद करने में सफल हुई है।

शाक्य बाहुल्य इलाके से आज तक किसी भी राजनीतिक दल ने इस जाति के किसी भी व्यक्ति को राज्यसभा नहीं भेजा है। बीजेपी ने उनके जरिए शाक्य जाति को यह सम्मान दिया है जो उनके लिए गर्व की बात है। अब रघुराज शाक्य को भाजपा ने पूरी दमदारी से चुनाव मैदान में उतारा है इसलिए पूरा शाक्य समाज भाजपा के साथ खड़ा हो गया है। गीता के बात को सही ढंग से समझा जाए तो रघुराज की जीत करीब तय हो गई है।

नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनकी परंपरागत सीट मैनपुरी पर भाजपा जीतनीति पर काम कर रही है। मैनपुरी की महत्वपूर्ण इस सीट पर कब्जा करने की बड़ी रणनीति है। जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए कद्दावर शाक्य उम्मीदवार को टिकट देने को वरीयता दी है।

भाजपाई हाईकमान ऐसा मानता है कि नेता जी मुलायम सिंह यादव के न रहने के बाद अब मैनपुरी सीट पर समाजवादी परिवार का असर कम होगा जिसका फायदा भाजपा उम्मीदवार को मिल सकता है। लेकिन इसके ठीक विपरीत समाजवादी नेता ऐसा बताते है कि नेता जी के निधन के बाद सहानुभूति लहर का वोट डिंपल के खाते मे जायेगा।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और प्रो.रामगोपाल यादव ऐसा मानते है कि नेता जी के न रहने के बाद सपा के खाते मे पहले के मुकाबले अधिक वोट पड़ेंगे। जब कि सूबे के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह साफ साफ कहते है कि सपा नही भाजपा की जीत मैनपुरी ससंदीय सीट के चुनाव मे होगी। जिसमे हर वर्ग का मत भाजपा को मिलेगा लेकिन सबसे अधिक भरोसा शाक्य मतदाताओं पर किया जा रहा है।

सपा की डिंपल यादव के मुकाबले भाजपा प्रत्याशी रधुराज सिंह शाक्य इटावा के ससंदीय इतिहास मे लगातार दो दफा जीतने वाले पहले सख्श है। रधुराज सिंह इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा के धौलपुर खेडा गांव के मूलवासी है।
जहां डिंपल यादव नेताजी मुलायम सिंह यादव के नाम पर क्षेत्र में वोट मांगते हुए यह कहने से नहीं चूकती है कि यहां के लोग नेता जी के नाम पर उन्हें श्रद्धांजलि स्वरुप वोट करेंगे।

संसदीय क्षेत्र खासकर करहल विधानसभा क्षेत्र के यादवों का काफी बड़ा समूह सैफई परिवार के परिवारवाद से बेहद खफा हो गया है। दिग्गज यादव नेताओं को उम्मीद थी कि नेताजी के निधन के बाद अब जनपद मैनपुरी का ही कोई यादव प्रत्याशी होगा। भाजपा उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य का कहना है कि नेता जी मुलायम सिंह यादव की विरासत वाली सीट मैनपुरी उनके शिष्य रघुराज शाक्य को ही मिलेगी।

जिस तरीके से चौधरी चरण सिंह की विरासत उनके बेटे अजीत सिंह को न मिलकर उनके शिष्य मुलायम सिंह को मिली थी इसी तरह मुलायम सिंह की विरासत उनके शिष्य रघुराज सिंह शाक्य को मिलेगी। श्री शाक्य ने अखिलेश और डिंपल को राजघराने का बताते हुए कहा कि मैनपुरी की जनता को राजघराने के लोगो से मिलने के लिए घंटो दरवाजे पर इंतजार करना पड़ता है फिर भी लोग इनसे मुलाकात नही कर पाते है।

इसलिए मैनपुरी की जनता मुझ जैसे आसानी से मिल जाने वाले आम जनसेवक को चुनेगी और अपनी सेवा का मौका देगी। मालूम हो कि रघुराज शाक्य 2012 में इटावा सदर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लडे और जीत हासिल की थी। लेकिन 2017 के आम चुनावों में रघुराज का टिकट काट दिया गया। जिसके बाद श्री शाक्य और उनके सैकड़ों समर्थको ने सपा से इस्तीफा दे दिया था।

सपा छोड़ने के बाद रघुराज सिंह शाक्य शिवपाल सिंह यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष बने। रघुराज सिंह शाक्य 1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर लगातार दो दफा सांसद चुने गए । ऐसा कहा जाता है कि बेसक रधुराज शाक्य को समाजवादी पार्टी ने उन्हे 1999 और 2004 मे संसदीय चुनाव मे लडाया हो लेकिन उनकी असल पैरोकारी शिवपाल सिंह यादव ने की थी इसलिए रधुराज को शिवपाल को करीबी माना जाता है।

मैनपुरी संसदीय सीट का अब तक का इतिहास इस बात की गवाही देता है कि भाजपा को आज तक इस सीट पर कामयाबी नहीं मिली है लेकिन भाजपा जीत का अंतर बेशक हटाने में कामयाब हुई है।
2019 में सपा बसपा गठबंधन में नेताजी मुलायम सिंह यादव करीब 95 हजार वोट से भाजपा उम्मीदवार प्रेम सिंह से जीत पाए थे।

मैनपुरी संसदीय सीट से जुड़ी जसवंतनगर, करहल और किशनी विधानसभा सीटों पर शिवपाल सिंह यादव, अखिलेश यादव और ब्रजेश कठेरिया के रूप में सपा का कब्जा है जब कि मैनपुरी सीट और भोगांव सीट पर जयवीर सिंह और रामनरेश अग्निहोत्री भाजपा से विजय पा सके है।
5 दिसंबर को मैनपुरी संसदीय सीट का मतदान होगा प्रशासन ने शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव संपन्न कराने की पूरी तैयारी कर ली है।

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