स्वामी जी ने कुरीतियों व पाखण्ड का विरोध कर वैदिक धर्म के शुद्ध स्वरूप को किया है स्थापित

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) मेला रामनगरिया के वैदिक क्षेत्र में जिला आर्य प्रतिनिधि सभा फर्रुखाबाद द्वारा आयोजित चरित्र निर्माण शिविर में आज प्रातःकाल भीषण वर्षा के बीच भी यजुर्वेद पारायण यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें भारी संख्या में कल्पवासियों ने भाग लिया। आचार्य प्रदीप शास्त्री ने वेद मंत्रों से यज्ञ संपन्न कराया दोपहर की सभा मे संत सम्मेलन का आयोजन किया गया।

सम्मेलन में सोमवार पुरी जी महाराज ने कहा कि मेला रामनगरिया में वैदिक क्षेत्र एक आदर्श क्षेत्र है जो हमें सनातन धर्म के आधार वेद से जोड़ता है। भगवान राम के समय से इस रामनगरिया की परंपरा चित्रकूट से चली आ रही है उसी का यह प्रतीक है। स्वामी कृष्णानंद महाराज ने कहा कि योगिराज कृष्ण ने गीता में ओम के स्मरण और आराधना का संदेश दिया है। क्योंकि वह सनातन धर्म के ध्वजवाहक हैं।

आज आर्य समाज के विषय मे लोगों ने गलत धारणा बना रखी है कि आर्य समाज हिन्दू आस्था का खण्डन करता है यह सब स्वार्थी लोगों का फैलाया हुआ भ्रम है। विश्व मे आर्य समाज ही एक मात्र वह संस्था है जो सनातन धर्म आधार वेदों पर चलने का संदेश देती है। स्वामी सत्यस्वरुप महाराज ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती के प्रार्दुभाव से पूर्व सनातन धर्म में बहुत सी कुरीतियों और पाखंडों ने अपना घर कर लिया था जिसके कारण धर्म की बहुत हानि हो रही थी।

स्वामी जी ने केवल धर्म मे व्याप्त कुरीतियों व पाखण्ड का विरोध किया और वैदिक धर्म के शुद्ध स्वरूप को हमारे सामने स्थापित किया जिसका हम सब को अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने गंगा में गिरने वाले नालों पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकार के लाख प्रयास के बाबजूद भी गंगा निर्मल नहीं हो पा रही है। इसके लिए संत समाज को जागरूकता अभियान चलाना होगा।

महात्मा बजरंगदास जी ने कहा कि आज हिन्दू समाज में व्यय अंधविश्वास व छुआछूत का लाभ उठाकर विधर्मी धर्मांतरण का जाल बिछाकर हमारे लोगों को हमसे दूर कर रहे हैं भगवान राम ने सबको गले लगाया था। हमको राम के पथ पर चल कर एकता का संदेश देना होगा तभी धर्म की रक्षा संभव है। आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने कहा जब जब सनातन धर्म पर कोई भी संकट आया आर्य समाज ने साहस के साथ उसका निवारण किया।

शुद्धि का आंदोलन चलाकर लाखों हिंदू जो मुसलमान हो चुके थे उनकी घर वापसी कराई। यदि देश के नीति नियंताओं व सभी धर्माचार्यों ने एकमत से आर्य समाज का साथ दिया होता तो आज भारत मे एक भी विधर्मी नहीं रहता। आज हमारी युवा पीडी संस्कार विहीन होती जा रही है इसको संत समाज ही सही रास्ते पर ला सकता है। इसलिए आर्यसमाज के प्रचार की महती आवश्यकता है। स्वामी महेन्द्रा नंद ने आये हुये सन्तों को अंगवस्त्र व साहित्य भेंट कर आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में सुरेश चंद्र वर्मा,हरिओम शास्त्री, योगेंद्र यादव गंगाराम संजीवा नंद अजित आर्य,संदीप आर्य,उदयराज आर्य,रेनू आर्या, रत्नेश द्विवेदी, अमृता आर्या, उदिता आर्या आदि उपस्थित रहे।