महाविहार को बौद्धों को सौंपने के लिए कसरत

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) बिहार के महाबोधि महाविहार को पूर्ण रूप से बौद्धों के हाथ सौंपने के लिए बौद्ध अनुयायियों ने सामूहिक रूप से ज्ञापन दिया। राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्टेट को सौपा गया। ज्ञापन देने के बाद सपा नेता डॉ नवल किशोर शाक्य, जवाहर सिंह गंगवार एडवोकेट, सुभाष चंद्र शाक्य एडवोकेट,आसाराम बौद्ध, भंते नागसेन, पूर्व राजस्व निरीक्षक शिव कुमार शाक्य, पूर्व राजस्व निरीक्षक रामदत्त बौद्ध आदि ने जिलाधिकारी से भेंट की।

इस दौरान डॉक्टर नवल किशोर हाथ में तख्ती लिए थे जिस पर लिखा था महाबोधि महा विहार मुक्त करो-मुक्त करो। डॉक्टर शाक्य ने डीएम को अपना परिचय देते हुए महाबोधि महाविहार में ब्राह्मणों द्वारा अवैध रूप से किए गए कब्जे के बारे में जानकारी दी। ज्ञापन में राष्ट्रपति को अवगत कराया गया कि पिछले 12 फरवरी से बोधगया टेंपल के पास देशभर के विभिन्न बौद्ध संगठनों के द्वारा बोधगया महाविहार पूर्णतः बौद्धों के हवाले करने के लिए आंदोलन पर है। महाबोधि महाविहार टेंपल एक्ट 1949 में 5 सदस्य गैर बौद्ध रखना यह बौद्ध धर्म का खुले तौर पर अपमान है। और खासकर शैववादी महंत ब्राह्मण का समिति पर रखना यह बौद्ध धर्म का अपमान ही है।

क्यों कि आदि शंकराचार्य द्वारा बौद्ध धर्म के खिलाफ हिंसा अभियान चलाया गया था। उन्हीं ब्राम्हणों का महाबोधि पर कब्जा कराना क्या न्याय है? जिस महंत की कोठी में सैकड़ों बुद्ध मूर्तियों पड़ी है, सैकड़ों बौद्ध राजाओं के अभिलेख पड़े है यह अपने आप हुआ है क्या? 4 थी सदी आए फाड्यान और 7 सदी में आए व्हेनसांग के सफरनामे से पता चलता है कि बोधगया मंदिर में कही पर भी शिव मंदिर नहीं था। बीटीएमसी के गैर बौद्ध खासकर महंत ब्राह्मण अपने ब्राह्मण
कर्मचारियों द्वारा बुद्ध के पांच प्रतिमाओं को पांडव कहकर प्रचार में ला रहा है और पवित्र महाबोधि महाविहार के बरामदे में एक कमरे में शिवलिंग को स्थापित कर इस अंतरराष्ट्रीय धरोहर को हड़पना चाहते है।

बोधगया यह केवल बिहार या भारत का ही गौरव नहीं है बल्कि विश्व का गौरव है। बोधगया विश्व धरोहर है। इस पवित्र स्थल पर मनुवादियों द्वारा कब्जा किया जा रहा है इसकी वजह महाबोधि महाविहार टेंपल एक्ट 1949 है।

बिहार राज्य के राज्यपाल आर्लेकर ने भी बोधगया आकर बोधगया शिवालय कहकर महंत ब्राह्मण के कब्जे को मान्यता दी है। इसलिए राज्यपाल पद पर आसीन व्यक्ति को यह शोभा नहीं देता। उनपर भी कठोर करवाई की जानी चाहिए।

प्रमुख दो मांगे

1- महाबोधि महाविहार टेंपल एक्ट 1949 तुरंत प्रभाव से रद्द कर नए सिरे से कानून बनाकर यह पवित्र बौद्ध स्थल भारत के बौद्धों के हवाले करना चाहिए।

2- महंत ब्राह्मण की कोठी यह सम्राट अशोक के राजमहल पर बनाई गई है। इसके ऐतिहासिक प्रमाण फ्रांसिस बुकानन के दस्तावेजों से प्रमाणित होता है। इस स्थल का उत्खनन कर उसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए। सम्राट अशोक से ही भारत की वास्तविक पहचान है। और महंत केवल कोठी में जो शाक्यमुनि तथागत बुद्ध की सैकड़ों मूर्तियां तथा शिलालेख है उन्हें तुरंत बोधगया स्थित संग्रहालय स्थानांतरित किया जाए। आंदोलन के आखिर में बोधगया में लाखों की विशाल महारैली भी होगी।

यदि सरकार ने हमारी मांगे मान्य नहीं की गई तो इसके विरोध उग्र आंदोलन पूरे देशभर में होगा। लॉ एंड ऑर्डर की समस्याएं निर्माण हुई तो इसके लिए सरकार खुद इसके लिए जिम्मेदार होगा। महाबोधि महाविहार को विधर्मियो से आजाद कराने के लिए तथा महाबोधि महाविहार बौद्धों के हवाले करने के लिए आनेवाले समय में देशव्यापी जेलभरो आंदोलन भी करेंगे।

ज्ञापन तथागत बहुजन राष्ट्रीय संघ समिति, दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ़ इंडिया, कठेरिया कल्याण समिति, तथागत संभ्रांत नागरिक सामाजिक संगठन की ओर से दिए गए। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य नरेंद्र शाक्य, हरिओम बौद्ध, वीरपाल, गोविंद सागर,रामनिवास कठेरिया, रणवीर सिंह कुलदीप शाक्य शिक्षक प्रवेश शाक्य भोजराज शाक्य आदि दर्जनों लोगों के अलावा काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल थी।

error: Content is protected !!