फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) कानपुर मंडल के अपर आयुक्त न्यायिक बृज किशोर ने अपने 15 मई 2025 को दिए गए आदेश में संकिसा स्थित धम्मालोको बुद्ध विहार के अध्यक्ष कर्मवीर शाक्य को राहत प्रदान की है। अपर आयुक्त ने सरकार बनाम् मकरंद आदि मौजा पुनपालपुर परगना शमशाबाद पूर्व तहसील सदर जिला फर्रुखाबाद के द्वारा दायर की गई रिवीजन को निरस्त कर दिया है। अवर न्यायालय द्वारा पारित आदेश 21.11.2023 को यथावत रखा है। अपर आयुक्त द्वारा पारित किए गए आदेश में कहा गया है कि यदि इस न्यायालय द्वारा कोई स्थगनादेश जारी किया गया है तो वह निरस्त किया जाता है।
आदेश की सत्य प्रति निगरानी संख्या 2829/ 2023 फूल सिंह आदि बनाम धम्मालोंको बुद्ध विहार प्रबंध समिति संकिसा बसंतपुर आदि में रखी जाए। आदेश की सत्यप्रति के साथ अवर न्यायालय की पत्रावली वापस भेजी जाए। बाद आवश्यक कार्रवाई न्यायालय की पत्रावली दाखिल दफ्तर हो। अदालत के आदेश की जानकारी होते ही पक्षकार मायूस हो गए हैं जबकि बौद्ध अनुयायियों में खुशी व्याप्त हो गई है। मालूम हो अपर कलेक्टर (न्यायिक) सुभाष चंद्र प्रजापति ने 56 वर्ष पूर्व 25 बीघा भूमि के अवैध रूप से किए गए पट्टों को निरस्त कर दिया था।
जिसमें धम्मा लोंको बुद्ध विहार समिति के मेला वाली विवादित जमीन शामिल है। अपर कलेक्टर श्री प्रजापति ने यह महत्वपूर्ण फैसला 21 नवंबर 2023 को सुनाया था। उक्त भूमि पुनपालपुर ग्राम सभा में निहित कर दी गई है। संकिसा स्थित धम्मा लोको बुद्ध विहार सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष कर्मवीर शाक्य मुकदमे के पक्षकार ने उक्त मुकदमे के फैसले की निम्न प्रकार जानकारी दी थी।
राजीनामा का प्रयास विफल
श्री शाक्य ने बताया कि बुद्ध विहार के प्रांगण स्थित टीन शेड के निर्माण के दौरान कायमगंज के समाजसेवी सत्य प्रकाश अग्रवाल ने अपने मुनीम गुड्डा शर्मा से कहकर पुनपालपुर निवासी जवाहरलाल के पुत्र राघवेंद्र को बुलाया था।
श्री अग्रवाल ने राघवेंद्र से कहा था कि तुम बुद्ध विहार के मेला वाली भूमि को छोड़ दो तो तुम्हें जितने रुपए मांगोगे उतने मिल जाएंगे। राघवेंद्र ने यह कहकर जमीन को छोड़ने से साफ मना कर दिया कि बुद्ध विहार प्रबंध समिति के अध्यक्ष कर्मवीर शाक्य ने मेरे पिता को जेल भिजवाया है मैं किसी भी कीमत पर उनको जमीन नहीं दूंगा। कर्मवीर शाक्य ने बताया कि हम चाहते थे कि आपसी बातचीत में भूमि का विवाद निपट जाये लेकिन विपक्षी निपटने को तैयार नहीं हुए। मजबूरन मुझे न्याय प्राप्त करने के लिए न्यायालय का सहारा लेना पड़ा।
अपर आयुक्त, कानपुर मण्डल कानपुर के न्यायालय निरोगी संख्या 128/2015 धारा 333 यू०पी०जेड०ए०एल०आर०एक्ट धम्मोलोको बुद्ध विहार समिति बनाम जवाहर आदि। वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि जगन्नाथ पुत्र अंगनू निवासी पुनपालपुर ने न्यायालय हाकिम परगना सदर फतेहगढ़ में दिनांक 10-09-1973 को मकरंद पुत्र रामसहाय हाल निवासी पुनपालपुर परगना शमसाबाद पूर्व तहसील सदर फर्रुखाबाद एवं जवाहर पुत्र श्री अंगनू निवासी पुनपालपुर परगना शमसाबाद पूर्व के विरूद्ध दो अलग-अलग याद वाद संख्या 32 व 33 धारा 198 जेड० ए०एल०आर०एक्ट के अन्तर्गत प्रस्तुत कर इनके पक्ष में भूमि प्रबन्धक समिति पुनपालपुर द्वारा गाटा संख्या 12/2, 217, 232 आदि के सम्बन्ध में किये गये कृषि आवंटन के निरस्तीकरण से सम्बन्धित प्रस्तुत किये गये।
दोनों ही वादों को दिनांक 24-12-1973 को इकजाई करने का आदेश किया गया। पक्षों को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद परगना अधिकारी सदर ने अपने आदेश दिनांक 05-05-1975 के द्वारा जवाहर पुत्र अंगनू व मकरन्द पुत्र रामसहाय के पक्ष में किया गया कृषि आवंटन दिनांक 28-09-1967 निरस्त कर दिया।
परगनाधिकारी सदर द्वारा पारित आदेश दिनांक 05-05-1975 के विरूद्ध मकरन्द पुत्र रामसहाय एवं जवाहर पुत्र अंगनू ने न्यायालय अपर आयुक्त, इलाहाबाद में अलग-अलग निगरानी योजित की, जिसमें मकरन्द सिंह द्वारा योजित निगरानी का सन्दर्भ राजस्व परिषद को प्रेषित किया गया तथा जवाहर लाल की अपील अपर आयुक्त द्वारा स्वीकार कर आदेश दिनांक 05-05-1975 क्षेत्राधिकार विहीन मानकर निरस्त कर दिया गया।
राजस्व परिषद के सन्दर्भ संख्या 565/1976-77 में पारित आदेश दिनांक 09-08-1984 के द्वारा अवर न्यायालय का आदेश क्षेत्राधिकार से बाहर मानते हुए कलेक्टर फर्रुखाबाद को नये सिरे से प्रकरण का निस्तारण करने हेतु प्रति प्रेषित किया गया। राजस्व परिषद के आदेश दिनांक 09-08-1984 के क्रम में वाद की कार्यवाही प्रारम्भ की गयी। कार्यवाही के दौरान पक्षकार जगन्नाथ पुत्र अंगनू एवं मकरन्द पुत्र रामसहाय मृतक हो गये। उनके वारिसान को उक्त वाद में प्रतिस्थापित करते हुए सूचना जारी की गयी।
पक्षों को सूचना होने के बावजूद कोई भी पक्ष उपस्थित न होने पर दिनांक 08-03-1990 को उक्त वाद अदम हाजिरी में निरस्त कर दिया गया। धम्मालोको युद्ध विहार प्रबन्ध समिति भिक्षु धम्मालोको बुद्ध विहार संकिसा पंजीकरण संख्या 7480 पत्रावली संख्या के 44662 द्वारा अध्यक्ष कर्मवीर शाक्य पुत्र गुरु सहाय निवासी मोहल्ला करम खाँ, कायमगंज फर्रुखाबाद की तरफ से दिनांक 18-04-2011 को मूल वाद में पारित आदेश दिनांक 08-03-1990 के विरूद्ध पुर्नस्थापन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर कथन किया गया।
कि प्रश्नगत वाद बोर्ड आफ रेवेन्यू से रिमाण्ड होकर पक्षों को सुनकर गुणदोष के आधार पर निस्तारण हेतु आया था परन्तु उक्त वाद अदम पैरवी में निरस्त कर दिया गया। बोर्ड आफ रेवेन्यू के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। प्रश्नगत विवादित भूमि का प्रयोग बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में होता है। मौके पर समिति द्वारा बनवाया गया एक बौद्ध मंच एवं बड़ा दरवाजा निर्मित है। कुछ भाग में निर्माण है, जिसमें भिक्षुगण निवास करते हैं।
उक्त भूमि पर जवाहर आदि ने पट्टा करा लिया था, जो आदेश दिनांक 05-05-19675 में निरस्त कर दिया गया था। राजस्व परिषद ने रिमाण्ड किया परन्तु गुणदोष पर निर्णय न करके अदम पैरवी में आदेश दिनांक 08-03-1990 के अन्तर्गत उक्त वाद निरस्त कर दिया गया था। आदेश दिनांक 08-03-1990 निरस्त कर राजस्व परिषद के आदेश दिनांक 09-08-1984 के निर्देशों के क्रम में उक्त वाद निर्णीत किये जाने की याचना की गयी। उक्त पुर्नस्थापन प्रार्थना पत्र के निस्तारण के कम में पक्षों को नोटिस जारी किये गये।
विपक्षी जवाहर पुत्र अंगनू ने न्यायालय में उपस्थित होकर अपनी लिखित आपत्ति प्रस्तुत की। मकरन्द के वारिसान फूल सिंह आदि ने भी अपनी लिखित आपत्ति प्रस्तुत की। जिसमें कहा गया कि तजवीज सानी प्रार्थना पत्र में लिये गये आधार कि स्थल पर विवादित भूमि का प्रयोग बौद्ध मंच आदि में होता है, के क्रम में स्थलीय जाँच आख्या तहसीलदार सदर से प्राप्त की गयी। तहसीलदार सदर ने अपनी स्थलीय जाँच आख्या दिनांक 25-01-2014 प्रेषित की।
उक्त वाद में उभय पक्षों को सुनने के बाद इस न्यायालय के आदेश दिनांक 05-11-2014 के अन्तर्गत कर्मवीर शाक्य द्वारा प्रस्तुत पुर्नस्थापन प्रार्थना पत्र दिनांकित 18-04-2011 निरस्त कर दिया गया।
इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 08-03-1990/05-11-2014 के विरूद्ध धम्मालोको बुद्ध विहार की तरफ से अपर आयुक्त, कानपुर मण्डल कानपुर के न्यायालय में निगरानी संख्या 128/2015 धारा 333 जेड एएल आर एक्ट में योजित की गयी। यह निगरानी दिनांक 25-07-2016 में निर्णीत करते हुए निगरानी न्यायालय द्वारा तहसीलदार सदर की आख्या दिनांक 21-01-2014 के क्रम में स्वमेव कार्यवाही करते हुए नोटिस निर्गत कर विपक्षी गणों को सुनने के बाद अन्तिम आदेश पारित करने के निर्देश दिये गये।
जिसके क्रम में वाद की कार्यवाही संचालित है। वाद प्रति प्रेषण उपरान्त कार्यवाही में पक्षों को न्यायालय से सम्मन सूचना निर्गत कर अपना-अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया। पत्रावली में पक्षों की बहस सुनने के बाद आदेश के समय संज्ञान आया कि वाद की कार्यवाही स्वप्रेरणा के आधार पर संचालित न होकर सामान्य वाद के रूप में चल रही है। यह तथ्य संज्ञान में आने पर दिनांक 14-03-2023 को वाद स्वप्रेरणा के आधार पर दर्ज कर पक्षों को पुनः सुनवाई का अवसर दिया गया।
सरकार की तरफ से साक्षी के रूप में क्षेत्रीय लेखपाल /कानूनगो का ब्यान अभिलिखित कराया गया। इसके उपरान्त विपक्षी गणों को साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया गया। विपक्षी गणों द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत न कर पत्रावली बहस में नियत करने की मांग की गयी। दिनांक 21-09-2023 में विपक्षी की ओर से लिखित बहस प्रस्तुत की गयी।
मेरे द्वारा उभय पक्षों को सुना गया एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों
का गहनता से परिशीलन किया गया। भूमि प्रबन्धक समिति ग्राम सभा पुनपालपुर परगना शमसाबाद पूर्व ने अपने प्रस्ताव दिनांक 28-09-1967 के द्वारा कृषि आवंटन किया गया। इसकी जाँच तत्कालीन हाकिम परगना सदर द्वारा की गयी, जिसमें हाकिम परगना सदर ने अपने आदेश दिनांक 12-04-1972 के द्वारा तत्कालीन ग्राम प्रधान बावूराम द्वारा किये गये पट्टे नियमविरुद्ध मानकर ग्राम प्रधान बाबूराम को उनके पद से मुक्त करने का आदेश पारित किया गया।
वादी जगन्नाथ द्वारा प्रस्तुत याद संख्या 32 बनाम् मकरन्द सिंह एवं वाद — संख्या 33 बनाम् जवाहरलाल के सम्बन्ध में पक्षों को नोटिस जारी किये गये। दिनांक 11-1973 में विपक्षी मकरन्द सिंह ने अपना जबाव दावा प्रस्तुत किया। जिसमें इस तथ्य कर उल्लेख है कि वह ग्राम बदखिनी परगना कम्पिल तहसील कायमगंज का मूल निवासी था गांव गंगाजी में कट जाने के कारण ग्राम पुनपालपुर में रहने लगा है। वाद संख्या-33 एकी प्रदविली अभिलेखालय में उपलब्ध नहीं है।
पत्रावली पर विपक्षी गण की तरफ से पारित आदेश दिनांक 12-04-1972 जिसमें कि सभी पट्टों से सम्बन्धित आदेश किसी भी सक्षम न्यायालय द्वारा निरस्त किया जा चुका हो। पत्रावली पर उपलब्ध तहसीलदार सदर की आख्या दिनांक 21-01-2014 के अनुसार गाटा संख्या 62/0.68. 66/0.04, 163मि0/1.6 एकड़ में मात्र 0238 डे० पर गेहूँ की फसल बतायी गयी है, शेष भूमि का प्रयोग कृषि प्रयोजन में रहा है। शेष परती भाग पर बौद्ध मंच के मेले का आयोजन होना बताया गया है।
इसी प्रकार गाटा संख्या 12/2/1.00,. 217/3/154, 232/0.85 जो फूल सिंह आदि के नाम दर्ज है,पर भूमि होना दिखाया गया है। आकार- पत्र 45 के अनुसार गाटा संख्या 12 का कुल क्षेत्रफल 5.57 एकड़ है जिसमें से 3.66 एकड़ स्कूल फॉर्म, 0.92 एकड़ नवीन परती, 0.87 एकड़ बंजर भूमि के नाम दर्ज है। गाटा संख्या 217 का कुल क्षेत्रफल 3.52एकड़ है, जिसमें 1.95 एकड़ खाद के गड्ढे व 1.54 एकड़ नवीन परती है। गाटा संख्या 232/021एकड नवीन परती है।
चूँकि तत्कालीन परगनाधिकारी सदर ने अपनी जाँच आदेश दिनांक 12-04-1972 के द्वारा पट्टों से सम्बन्धित कार्यवाही को अनियमित बताया गया है तथा तत्कालीन प्रधान बावूराम को पदमुक्त करने का आदेश भी दिया गया। इसके अलावा विपक्षी मकरन्द सिंह ने अपने जबावदावा के प्रस्तर-6 में इस बात का स्वयं उल्लेख किया है कि वह ग्राम वदखिनी परगना कम्पिल तहसील कायमगंज का मूल निवासी है। ऐसी स्थिति में उसके पक्ष में किया गया कृषि आवंटन अवैध है।
इसी प्रकार विपक्षी जवाहरलाल के पक्ष में किये गये कृषि आवंटन की अधिकांश भूमि का प्रयोग कृषि प्रयोजन में नहीं किया जा रहा है बल्कि इसका उपयोग धार्मिक आयोजन में होता है। अतः विपक्षीगण जवाहरलाल के पक्ष में किया गया कृषि आवंटन भी कायम रहने योग्य नहीं है एवं निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
उपरोक्त विवेचना के प्रकाश में विपक्षीगण मकरन्द पुत्र रामसहाय मृतक वादहू वारिसान फूल सिंह आदि निवासीगण पुनपालपुर को गाटा संख्या 12/2/1.00,217/3/ 1.54 एवं 232/0.85 एकड़ कुल 3.39 एकड़ तथा विपक्षी जवाहर लाल पुत्र अंगनू निवासी पुनपालपुर को गाटा संख्या 62/0.68, 66/0.04, 163 मि0/1.66 एकड़ स्थित ग्राम पुनपालपुर परगना शमसाबाद पूर्व तहसील सदर जनपद फर्रुखाबाद का दिनांक 28-09-1967 को किया गया कृषि भूमि आवंटन निरस्त किया जाता है एवं उक्त भूमि गाँव सभा में निहित की जाती है।
आदेश की प्रति तहसीलदार सदर को इस निर्देश के साथ प्रेषित की जाती है कि यह तद्नुसार अभिलेखों में अमल दरामद एवं उपरोक्त भूमि पर गाँव सभा का कब्जा दखल सुनिश्चित करें। इसी आदेश के विरुद्ध रिवीजन किया गया था।