फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) नगर पालिका फर्रुखाबाद अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी का लगभग फैसला हो गया है। करीब 95 फ़ीसदी लोगों ने तय कर लिया है कि किसको वोट देना है। अब लोगों ने जीतने वाले व हारने वालों पर चर्चा शुरू कर दी है। आम जनता की राय व चर्चाओं के आधार पर चुनाव की समीक्षा की गई है। निवर्तमान चेयरमैन श्रीमती वत्सला अग्रवाल बसपा से श्रीमती एकता सिंह सपा से एवं श्रीमती सुषमा गुप्ता भाजपा अध्यक्ष पद की प्रत्याशी है।
इन्हें प्रत्याशियों में जबरदस्त टक्कर होगी।जब लोग टिकट के लिए आवेदन कर रहे थे तभी निवर्तमान चेयरमैन श्रीमती वत्सला अग्रवाल एवं पूर्व चेयरमैन मनोज अग्रवाल चुनाव प्रचार मे लग गए थे। जबकि चुनाव की तैयारी कई महीने पहले से शुरू कर दी थी। मनोज अग्रवाल ने टिकट के लिए बसपा से भी सेटिंग कर ली थी। यदि टिकट नहीं मिलती फिर भी वत्सला निर्दलीय चुनाव लड़ती। 15 वर्षों तक नगर पालिका के अध्यक्ष पद की कुर्सी पर कब्जा करके विकास कार्य कराने एवं हजारों गरीब लड़कियों की शादी कराकर अग्रवाल दंपत्ति ने काफी व्यवहार कमाया है।
बहुत से लोगों को नाराजगी भी हुई ऐसे लोगों को मनोज अग्रवाल ने प्रयास करके मना लिया है। मनोज पर भ्रष्टाचार के भी संगीन आरोप लगाए गए। मनोज ने अपने करिश्मे से विरोधियों के वोटों में ही जबरदस्त सेंधमारी की है। ध्यान रहे कि बीते चुनाव में मनोज अग्रवाल ने स्वयं से कई गुना अधिक साधन संपन्न भाजपा नेत्री श्रीमती मिथिलेश अग्रवाल को चुनाव हराया था। उस समय किसी भाजपाई ने सपने में भी नहीं सोचा था कि मिथलेश अग्रवाल चुनाव हार जायेगी।
सपा व भाजपा टिकट के लिए मारा मारी रही। भाजपा जिलाध्यक्ष के पास टिकट दिलवाने की जिम्मेदारी थी उन्होंने अपनी मां को टिकट दिलवाकर चौकाया। जिसके कारण टिकट के प्रबल दावेदार सुधांशु द्विवेदी ने पार्टी से खुली बगावत कर दी। शुरू से ही भाजपा प्रत्याशी के विरुद्ध सोशल मीडिया पर जमकर भड़ास निकाल रहे हैं। यहां तक कह दिया कि लाला व नाला के बीच लड़ाई है। नाला यानी श्रीमती एकता चौधरी व लाला का मतलब मनोज अग्रवाल।
भाजपा जिला अध्यक्ष सुधांशु त्रिवेदी के विरुद्ध कार्रवाई करवाना तो दूर रहा किसी वरिष्ठ नेता आदि का दबाव डलवा कर सुधांशु को खामोश तक नहीं करवा सके। यही नहीं भाजपा जिला अध्यक्ष ने टिकट मिलने के बाद एक बार भी मीडिया से बातचीत कर अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का भी जवाब नहीं दिया। सुबे के दोनों डिप्टी सीएम के कार्यक्रमों का कोई खास असर नहीं दिखा। पत्नी को टिकट मिल जाने के बाद अविनाश सिंह उर्फ विक्की ने भी मान लिया कि वह चुनाव जीत जायेंगे।
एकता को पूर्व विधायक विजय सिंह के प्रभाव व व्यवहार के कारण टिकट मिली है। जबकि विक्की पार्टी के वरिष्ठ नेता महेंद्र सिंह कटियार की टिकट न मिलने पर नाराजगी दूर नही सके। श्री कटियार ने पूरे परिवार व समर्थकों के साथ सपा छोड़ दी। प्रभावशाली एवं मृदुभाषी चाचा करन सिंह को आखिर तक चुनाव प्रचार के लिए मना नहीं पाए। चुनाव ना लगाए जाने से आहत करन सिंह ने जिले को ही छोड़ दिया है। लेकिन उन्होंने सुधांशु द्विवेदी की तरह बगावत नहीं की है।
विक्की एक बड़े सरकुलेशन वाले को ही अखबार मानते हैं और उसी से प्रचार कराया। अन्य पत्रकारों को ठेगा दिखाया। विक्की ने महान दल के द्वारा सपा प्रत्याशी को समर्थन देने का बडा विज्ञापन छपवाया है। यदि सपा की मदद करनी थी तो केशव देव मौर्य को प्रचार करने के लिए आना चाहिए था। महान दल से सपा कोई फायदा नहीं होने वाला है जिले में महान दल खत्म हो चुका है। बरसों से महान दल की कोई बैठक व कार्यक्रम नहीं हुआ है। विक्की में पूर्व विधायक विजय सिंह जैसे मिलनसार व मृदुभाषी होने के भी गुण नहीं देखे गए।
यदि विजय सिंह जेल से बाहर होते तो आज साइकिल सबसे आगे होती। मुट्ठी भर यादव व आधे अल्पसंख्यकों के सहारे सपा प्रत्याशी को काफी मजबूती नहीं मिली। कांग्रेस प्रत्याशी को भी सजातीय अल्पसंख्यकों के वोट मिलेंगे। यदि भाजपा समाजसेवी एवं व्यापारी मोहन अग्रवाल या सुधांशु त्रिवेदी को टिकट देती तो चुनाव काफी दिलचस्प होता और नतीजे भी चौकाने वाले होते। लोगों ने प्रभावित होकर मोहन अग्रवाल को चुनाव जिताने का पूरा मन बना लिया था ऐसे लोगों को मोहन को टिकट न मिलने पर बहुत हताशा हुई है।
और ऐसा ही अन्य दावेदार सुधांशु द्विवेदी के समर्थकों के साथ भी हुआ है। यह चुनाव प्रदेश में सरकार बनाने का नहीं बल्कि व्यक्तिगत व्यवहार के आधार पर लोग वोट देते हैं। करीब 10% वोट केवल चुनाव चिन्ह को देखकर दिया जाता है।
मतदान के दिन भी हार जीत के समीकरण बदल जाते हैं। याद रहे कि सपा की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले लाल बहादुर शाक्य के समर्थन में अल्पसंख्यकों की मतदान केंद्रों पर लंबी लाइनें लग गई थी।
यह देख कर बहुसंख्यक समाज एकजुट हो गया था। कांग्रेस का भी वोट मिलने से ब्रह्मदत्त द्विवेदी चुनाव जीत गए थे। बदली परिस्थितियों में मतदान के 2 घंटे पूर्व जीत हार में और हार जीत में बदल जाती है। अभी भी करीब 10% वोटर असमंजस की स्थिति में है इसमें अल्पसंख्यकों की संख्या ज्यादा है। वह यह नहीं तय कर पा रहा है कि किसको वोट दिया जाए। यही वोटर हार जीत का फैसला करेगा।
एफबीडी न्यूज की सभी मतदाताओं से अपील है कि वह कल सुबह पहले मतदान करें और बाद में अन्य कार्य करें वोट देकर लोकतंत्र के उत्सव को मनाएं। अपने अड़ोस पड़ोस कि लोगों को भी वोट डालने के लिए प्रेरित करें। प्रशासन ने शांतिपूर्वक मतदान कराने के लिए कड़ी व्यवस्था की है।