अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार: आयुर्वेद ऐसी औषधि है जो बड़े रोगों को जड़ से कर सकता है खत्म

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) मेजर एसडी सिंह पीजी आयुर्वेद मेडिकल कालेज एण्ड हॉस्पिटल में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ बड़े ही धूमधाम के साथ किया गया। देश-विदेश से आये अतिथियों को तिलक वंदना व पुष्प वर्षा माला पहनाकर स्वागत किया गया। अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार जेजैप्स फाउंडेशन के सौजन्य से फर्रुखाबाद बेवर रोड स्थित मेजर एसडी सिंह पीजी आयुर्वेद मेडिकल कालेज एण्ड हॉस्पिटल में चल रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में मैगो मैन के नाम से प्रसिद्ध पद्म श्री हाजी कली मुल्ल्ला खान मौजूद रहे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर व भगवान धनवंतरी के चित्र पर माल्यार्पण तथा मुख्य अतिथि हाजी कली मुल्ल्ला खान, संस्था के संस्थापक शिक्षाविद् बाबू सिंह यादव दद्दू, संस्था की डायरेक्टर डा0 अनीता रंजन, चेयरमैन डा0 जितेन्द्र सिंह यादव ने गुब्बारे व कबूतर उड़ाकर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर विभिन्न देशों से आये अतिथिगण मौजूद रहे। मुख्य अतिथि हाजी कलीमुल्ला खान ने आयुर्वेद पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आयुर्वेद वह औषधि है जो बड़े से बड़े रोग को जड़ से खत्म करने की ताकत रखता है।

प्राचीन काल से आयुुर्वेक चला आ रहा है उस समय बड़े-बड़े युद्ध में अनेकों लोग घायल होते थे और आयुर्वेद औषधि से वह कुछ ही दिनों में मैदान में शेर की तरह दहाड़े लगते थे वही इसे समझने की जरुरत है। धीरे-धीरे लोग आयुर्वेद की ओर बढ़ रहे है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी उपलब्धियों को भी गिनाया। जिसे कालेज के छात्रों ने ताली बजाकर सराहा। संस्था के चेयरमैन डा0 जितेन्द्र सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में आये लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि मुझे बहुत खुशी और गर्व हो रहा है कि आयुर्वेद विचारधारा की सबसे बुनियादी अवधारणाओं में से एक स्वस्थ व्यक्ति की परिभाषा है।

इसमें कहा गया है जैसे समदोष समाग्निश्च समधातु मल: क्रिया:। सुखदात्मेन्द्रिय मन: स्वस्थ इत्यभिधीयते।। यदि हम इसके तार्किक अर्थ को खोजने का प्रयास करें तो इसमें संपूर्ण निष्कर्ष संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है। इसमें दवा का, यह आपको की धारणा के बारे में भी स्पष्ट रूप से बताता है। उन्होंने कहा कि नैदानिक चिकित्सा की विचारधारा… अब अगर हम स्वस्थ व्यक्ति की उस परिभाषा पर गौर करें जो डब्ल्यू एचओ ने संकल्पित की है, तो हम पाते हैं कि यह अयूर द्वारा प्रलेखित की गई परिभाषा से कहीं भी अलग नहीं है और यहां दिलचस्प बात यह है कि आयुर्वेद ने हजारों साल पहले इसका उल्लेख किया था।

मुझे लगता है, आयुर्वेद एक संपूर्ण चिकित्सा विज्ञान है जो प्रतीत होता है, जो निश्चित रूप से हर बिंदु पर सबसे स्वीकार्य है। आवश्यकता इस विज्ञान को और अधिक समझने योग्य एमए में प्रस्तुत करने की है और इसके लिए सेमिनार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। यह विभिन्न मूल, विभिन्न संस्कृति के लोगों को एक ही स्थान पर एक मंच प्रदान करता है। जहां वे अपने निष्कर्षों को संप्रेषित करते हैं और इसके बाद विज्ञान को समझने में मदद करते हैं। यदि हम ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करें तो हम उस असाम्प्रदायिकता को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।

ऐसी बीमारियां जिन्हें हम जीवनशैली संबंधी विकार भी कहते हैं। एक समस्या बन रही हैं मानवता के लिए खतरा। वे धीरे-धीरे एक प्रमुख सी बनते जा रहे हैं। मृत्यु दर और हमें आश्चर्य है कि उनकी घटना और व्यापकता दरआर है उभरता हुआ। इसके चलते हमें इन बीमारियों की रोकथाम पर ध्यान देने की जरूरत है। अत्यंत प्रयास में आयुर्वेद ने भी प्रमुख महत्व दिया है। इसमें स्वास्थ्य के संरक्षण के बारे में भी बताया गया। इस मौके पर प्रो0 डा0 जोस रुग संस्थापक निदेशक ब्राजील, कैरिन गुंथोर संस्थापक निदेशक लक्ष्मी आयुर्वेद पर्थ, आस्टेलिया, मार्क रोसेनबर्ग यूरोपियन आयुर्वेद अकादमी जर्मनी के निदेशक, प्रो0 अमाडियो बियानची बियान्च राष्ट्रपति विश्व योग एवं आयुर्वेद आंदोलन इटली।

डा0 राम आधार यादव कार्यकारी निदेशक राष्ट्रीय आयुर्वेद अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र कीर्तिपुर काठमांडू , डा0 शिशिर प्रसाद एसो प्रोफेसर शल्य तंत्र मुख्य परिसर उत्तराखण्ड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी उत्तराखण्ड, डा0 वल्देमार प्राडो वल्र्ड एसोसिएशन फॉर फॉर्मर यूनाइटेड नेशंस इंटेंस एंड फेलो, न्यूयॉर्क यूएसए के कार्यकारी उपाध्यक्ष, डा0 जीन पियरे कैटलानो अमला आयुर्वेद स्टैसबर्ग के संस्थापक फ्रांस के अलावा डा0 पीसी सक्सेना, डा0 वीएम गुप्ता, प्राचार्य डा0 सुनील कुमार गुप्ता, डा0 वीएस यादव, डा0 जीएस तोमर, डा0 अनिल कुमार सिंह, डा0 राम आधार यादव, प्रो0 संजीव त्रिपाठी, डा0 मुकेश विश्वकर्मा, डा0 अरुण कुमार पाण्डेय आदि मौजूद रहे।

error: Content is protected !!