संघमित्रा मौर्य के चुनाव लड़ने की चर्चा से नवल किशोर के समर्थक मायूस: कौन बनेगा जिलाध्यक्ष

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य के द्वारा फर्रुखाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ने की जबरदस्त चर्चा के कारण डॉ नवल किशोर शाक्य के समर्थक मायूस होने लगे हैं। भाजपा के काबीना मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने के बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अब संघमित्रा मौर्य भाजपा से चुनाव नहीं लड़ेंगी। बदली परिस्थितियों में संघमित्रा अब भाजपा से टिकट भी नहीं मांग सकती हैं।

क्योंकि विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य का खुलेआम चुनाव प्रचार कर भाजपा प्रत्याशी का विरोध किया था। स्वयं को अंतरराष्ट्रीय कैंसर विशेषज्ञ बताने एवं प्रचार करवाने वाले डॉ नवल किशोर शाक्य जनपद एटा उन्नाव औरैया के बाद बीते वर्षो से फर्रुखाबाद की राजनीति में इसीलिए सक्रिय हुए थे कि वह यहां से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे।
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ाने के लिए ही नवल किशोर को यहां भेज कर सदस्यता प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी।

गठबंधन में शाक्य बाहुल्य सदर क्षेत्र की सीट महान दल के खाते में चली गई थी। केशव मौर्य ने पत्नी सुमन मौर्य को चुनाव लड़ाया। नामांकन से ही विवादित हो जाने के कारण सुमन का चुनाव प्रचार जोर नहीं पकड़ सका और वह भाजपा प्रत्याशी से चुनाव हार गई। गठबंधन एवं बाहरी प्रत्याशी होने के कारण पार्टी नेताओं ने सुमन के चुनाव में दिलचस्पी नहीं ली। दुर्भाग्य से नवल किशोर का बिल्ली रास्ता काट जाती है।

काफी मेहनत करने के बावजूद नवल को औरैया से भी टिकट नहीं मिला। जबकि वहां सपा का ही विधायक बना। समाजवादी पार्टी में स्वामी प्रसाद मौर्य के मुकाबले नवल किशोर कहीं नहीं टिकते हैं। नवल किशोर ने शाक्य समाज में प्रचार करने के लिए अपने कई गुर्गों को क्षेत्र में लगाया है। लोकसभा का भी टिकट न मिलने की उम्मीद में नवल किशोर निष्क्रिय हो गए हैं वह कई महीनों से सपा के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए हैं।

नवल किशोर के खास समर्थक उन्हें नजरअंदाज कर स्वामी प्रसाद मौर्य से नजदीकी बढ़ाने लगे हैं। संघमित्रा मौर्य के चुनाव लड़ने पर पार्टी उनको लोकसभा पहुंचाने के लिए पूरी ताकत लगाएगी और स्वामी प्रसाद मौर्य भी बेटी की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। समाजवादी पार्टी के नेताओं के आपसी विवाद में फस जाने के कारण नवल किशोर की स्थिति खराब हो गई है। एक नेता की पार्टी के आलाकमान से पैरवी करने के कारण अन्य बड़े नेताओं ने उनसे दूरी बना ली है।

कौन बनेगा जिलाध्यक्ष

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जिला अध्यक्ष को लेकर जबरदस्त सरगर्मी है कि कौन जिलाध्यक्ष बनेगा। जिलाध्यक्ष पद के लिए निवर्तमान जिलाध्यक्ष नदीम फारुकी के अलावा मंदीप यादव, विजय यादव अध्यक्ष पद के लिए जोरदारी से सक्रिय हैं। सबसे मजबूत कहे जाने वाले चंद्रपाल सिंह यादव ने अब दावेदारी का प्रयास कम कर दिया है।

सपा मुखिया अखिलेश यादव पिछड़े वर्ग के बहुत बड़े हिमायती है लेकिन उन्होंने अथवा मुलायम सिंह यादव ने आज तक जिले में गैर यादव पिछड़े वर्ग को पार्टी का जिला अध्यक्ष नहीं बनाया है। सैफई परिवार यादवों को ही पिछड़ा वर्ग समझता है और जब वोट लेने की नौबत आती है तब वे सभी पिछड़ी जातियों का पूरा वोट चाहते हैं। अभी तक मोहम्मद अनवर खां, नरेंद्र सिंह यादव, रामसेवक सिंह यादव, प्रताप सिंह यादव, राजकुमार सिंह राठौर, सतीश दीक्षित, चंद्रपाल सिंह यादव एवं नदीम फारुकी जिलाध्यक्ष बनाये गये।