फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) तहसील कायमगंज के ग्राम चिल्सरी स्थित भन्ते डी०आर्य देव बुद्ध विहार में 19 वां बौद्ध मेला धूमधाम से मनाया गया। भिक्षु पदम गुप्त ने बुद्ध वंदना कराई। इस दौरान राहुल शाक्य एडवोकेट लड़ैते लाल उत्तम अवधेश सिंह शाक्य आचार्य गिरीश बाबू गीता बौद्ध विजय सिंह शाक्य संघ दीप, फूल सिंह लालाराम, शिवम शाक्य परषोत्म शाक्य आदि मौजूद रहे।
भाजपा विधायक सुशील शाक्य, बुद्ध विहार के संस्थापक कर्मवीर शाक्य एवं समाज सेवी शाक्य अशोक मौर्य ने बुद्ध विहार के अंबेडकर पार्क में बोधि वृक्ष एवं बरगद के पौधे लगाये।
विधायक सुशील शाक्य एवं कर्मवीर शाक्य ने फीता काटकर बौद्ध मेले का शुभारंभ किया। विधायक सुशील शाक्य ने अनुयायियों को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान बुद्ध ने कभी मूर्ति पूजा नहीं की उन्होंने भगवान का खंडन किया था और ईश्वर पूजा को मूर्खता बताया था। बुद्ध का धम्म पाखंड का नहीं है हम लोग बौद्ध पद्धति से पूजा करते हैं। भगवान बुद्ध के परिनिनिर्वाण के पश्चात उनकी मूर्ति बनाई गई थी। उन्होंने दुःख का कारण के साथ ही निवारण वताया है। श्री शाक्य ने कहा कि जब तक लोग शिक्षित नहीं बनेंगे तब तक वह बौद्ध धर्म एवं संगठन से दूर रहेंगे।
विपश्यना के साथ जब पंचशील त्रिशरण का अनुसरण करेंगे तभी सच्चे बौद्ध बन सकेंगे। धम्म का कवच बुद्ध विहार है। उन्होंने कहा कि बड़े भाई कर्मवीर शाक्य ने जो बुद्ध विहार बनवाए हैं उस पर लोग आकर्षित नहीं हो रहे हैं बुद्ध विहार की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए अन्य जातियों को जोड़ना होगा। कर्मवीर शाक्य ने पूरा जीवन बुद्ध के सामाजिक न्याय समता भाईचारा में लगा दिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1956 से कर्मवीर शाक्य संकिसा से जुड़े हैं मैं समय छोटा था अपने अपने पिता के साथ संकिसा गया था। चिल्सरी का बुद्ध विहार भव्य बना है जो इन्हीं की देन है मैं यहां तीन बार आ चुका हूं।
कर्मवीर शाक्य ने अनुयायियों को संबोधित करते हुए कहा कि सिद्धार्थ गौतम शाक्य कुल में पैदा हुए थे राजपाट को त्याग करने वाले सिद्धार्थ गौतम ने बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे कठिन तपस्या की तभी उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया। उसी समय वह सम्यक समबुद्ध हो गए थे। वह दुनिया के वह पहले मानव थे जिन्होंने समानता भाईचारा सामाजिक न्याय का वैज्ञानिक धम्म का उपदेश दिया। श्री शाक्य ने पाखंड व अंधविश्वास की बखिया उधेड़ते हुए कहा कि बौद्ध धर्म को मनुवादियों ने समाप्त करने के लिए पूरी ताकत लगाई और अपनी जाति प्रथा एवं मनुवादी व्यवस्था कायम की। यदि सम्राट अशोक महान ने हजारों शिलालेख व बौद्ध स्तूप न बनवाये होते तो बौद्ध धर्म को मिटा दिया गया होता।
समाजसेवी शाक्य अशोक कुमार मौर्य ने बौद्ध धर्म पर प्रकाश डालते हुए मानवतावादी धर्म को अपनाये जाने का आवाहन किया।
समाज सेवी अनाथ पिण्डक सत्य प्रकाश अग्रवाल को मेले का उद्घाटन करना था। किसी कारण उनके न आ पाने के कारण विधायक एवं कर्मवीर शाक्य ने मेले का उद्घाटन किया। समाजसेवी सत प्रकाश अग्रवाल ने इस शुभ अवसर पर मेला प्रबंधन को गर्मी से राहत के लिए कूलर भिजवाया एवं अनुयायियों के लिए लस्सी की व्यवस्था की।
पूर्व विधायक अमर सिंह खटिक, दिल्ली के इं० देवेन्द्र सिंह शाक्य, दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के जिलाध्यक्ष कुलदीप कठेरिया,कैलाश चन्द्र गौतम, संगदीप बौद्ध, डा० दुर्वेश, पपड़ी के सुखराम सिंह, संतोष बौद्ध, फूलसिंह शाक्य।
पुरुषोत्तम सिंह, शमसाबाद के आर.एस. माथुर, इमादपुर के प्रधानाचार्य बाबूराम, विजय सिंह शाक्य मौरम गिट्टी विक्रेता, शिवम शाक्य, प्रधान मगंली प्रसाद बाल्मीकि, सुनील कुमार प्रजापति, भूपाल सिंह मुनीम, सतीश चन्द्र बी.डी.सी., जोगराज पूर्व प्रधान, हरिओम, डा० ब्रजमोहन, गोपी सिंह नेता किसान यूनियन, टायगर रोहित सिंह, दशरथ सिंह राठौर, सुधीर कुमार, कश्मीर सिंह, विमल कुमार, नवीन कुमार, आनन्द किशोर, नवनीत कुमार, सौरभ, राजीव, सूरज शर्मा, सोमेश, भाई लाल, सर्वेश कुमार, प्रबंधक राहुल शाक्य एडवोकेट आदि सैकड़ो लोग मौजूद रहे। मेले में देर रात तक भगवान बुद्ध की याद में सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं गीतों का आयोजन हुआ।