डांटे जाने से छात्र कार से लाफता: श्रीराम के यज्ञ काल में कोई नहीं था दु:खी, यज्ञ सर्वोत्तम कर्म

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) परिजनों के डांटे जाने पर छात्र पिता की कार को लेकर गायब हो गया। आवास विकास कॉलोनी 6बी/ 165 निवासी सुमित कटियार ने 16 वर्षीय पुत्र अक्षत के लापता हो जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई। घटना के मुताबिक 16 वर्षीय अच्छा एक जनवरी को सुबह 10 बजे घर के बाहर पिता की खड़ी हुंडई कार को लेकर गायब हो गया।

बेटे के घर न लौटने पर उसको चारों ओर तलाश किया गया। मजबूरन बीती रात रिपोर्ट दर्ज कराई गई मुकदमे की जांच आवास विकास चौकी इंचार्ज सुदेश कुमार को सौंपी गई। पता चला कि छात्र अक्षत गुस्से मैं कार से लखनऊ चला गया था। जिसको पुलिस ने ढूंढ कर परिजनों को सौंप दिया बताया गया कि अश्रत वीरेंद्र स्वरूप स्कूल में कक्षा 10 का छात्र है और पिता व्यापारी हैं।

यज्ञकाल में कोई नहीं था दु:खी

आर्य प्रतिनिधि सभा फर्रुखाबाद के तत्वधान में मेला श्री राम नगरिया में चल रहे वैदिक क्षेत्र चरित्र निर्माण शिविर में आज प्रातःकाल यज्ञ किया गया। यज्ञोपरान्त वेदों के प्रकाण्ड विद्वान आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री जी ने बताया कि जीवन निर्माण के तीन आधार हैं, यज्ञ, अध्ययन और दान। यज्ञ संसार का सर्वोत्तम कर्म है, आर्यावर्त देश में जब तक यज्ञों के करने कराने का प्रचलन रहा तब तक ये आर्यावर्त, भारत देश सुखों से पूरित और दुखों से दूर था।

प्राचीन काल में ऋषि, महर्षि और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के राज्य में सभी यज्ञ करते और कराते थे। यही कारण था कि भगवान श्रीराम के राज्य में किसी को कोई दुःख नहीं था। इसीलिए तुलसीदास जी ने लिखा कि –
दैहिक दैहिक भौतिक तापा।
राम राज्य काहुहि नहिं व्यापा।।
सब नर करहिं परस्पर प्रीति।
चलहिं स्वधर्म सुरति श्रुति नीति।।

परस्पर प्रीति और अपने अपने कर्तव्य का पालन करने से ही समाज में सुख और शांति स्थापित हो सकती है। इस अवसर पर नित्य की भांति विशेष योगशिविर का आयोजन भी किया गया जिसमें कल्पवासियों को योग से निरोगी रहने के उपाय बताए गए। पतंजलि महिला योग समिति की जिला प्रभारी अर्चना द्विवेदी व उनकी टीम के सदस्यों ने विभिन्न आसनों प्राणायाम, कपालभांति, भस्तिका आदि आसन कराकर उनसे होने वाले लाभ को बताया।

आचार्य संदीप आर्य ने कहा कि स्वस्थ्य शरीर मे ही स्वच्छ विचार उत्पन्न होते हैं और अस्वस्थ्य शरीर मे सिर्फ विकार पैदा होते हैं। मन व मष्तिष्क को उत्तम बनाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को यज्ञ व योग करना चाहिए। वैदिक क्षेत्र के द्वारा सारी व्यवस्था कल्पवासियों को निशुल्क उपलब्ध कराई गई हैं। कु.उदिता आर्या ने-
प्रभु प्यारे से जिसका सम्बन्ध है।
उसे हरदम आनंद ही आनंद है।।

परमानंद की प्राप्ति केवल प्रभु की भक्ति से ही सम्भव है। धनीराम बेधड़क, धर्मवीर आर्य, ओमवीर आर्य ने भजनों से समाज को जगाने का कार्य किया। सभा में श्यामानंद बाबा,सर्वेश सिंह,सुरेन्द्र सिंह,हीरालाल आर्य, अजीत आर्य, शिशुपाल आर्य, अंजलि यादव, विजया सुमन,रतना प्रेसी, संध्या, इंदू, सुविधा,आदि व सैकड़ों की संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।

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