फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) आर्य समाज की ओर से वैश्विक नववर्ष एवं आर्य समाज स्थापना दिवस का पर्व जनपद में जगह -जगह हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। थाना कमालगंज क्षेत्र के ग्राम गदनपुर देवराजपुर में आर्य समाज के तत्वावधान में बृहद यज्ञ का आयोजन किया गया। ग्रामवासियों ने यज्ञ में आहुतियां डालकर नूतन नववर्ष पर ईस्वर से सुख संवृद्धि की कामना की।
मुख्य वक्ता आर्य समाज के पुरोहित आचार्य संदीप आर्य ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी आज के दिन ही ब्रह्मा ने श्रष्टि की रचना की थी इसलिए इसे वैश्विक नववर्ष कहना चाहिए। कुछ लोग इसे हिन्दू नववर्ष कहकर संबोधित करते हैं। इस महापर्व को एक वर्ग तक सीमित करना उचित नहीं है। महर्षि दयानन्द सरस्वती ने ऋग्वेदआदि भाष्यभूमिका ग्रन्थ में लिखा है कि श्रष्टि के आदिकाल से हम आर्य लोग एक-एक दिन की गणना अपने संकल्प मन्त्रों में करते आ रहे हैं।
जिसके अनुसार श्रष्टि को बने एक अरब छियानबे करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ चौबीस वर्ष हो गए। आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि संसार को बने लगभग पौने दो अरब वर्ष हो चुके हैं। कुछ लोग एक जनवरी को नव वर्ष समझते हैं परंतु यह केवल ईसाई मत की स्थापना का दिन है। इनसे पूर्व भी हमारे महान पूर्वज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही अपना नववर्ष मनाते आ रहे हैं। सदियों की मानसिक गुलामी व आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने हमें हमारी प्राचीन वैदिक संस्कृति से दूर कर दिया
जिनके कारण हम अन्य मतमतान्तरों के पर्व तो खूब मनाते हैं पर अपने पर्वों को हेय दृष्टि से देखते हैं यह विचारधारा बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज के दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ तथा महाराज युधिष्ठिर ने भी अपने राज्य स्थापना आज के दिन ही कि महाराज विक्रमादित्य ने आज के दिन से ही विक्रम संवत का चलन प्रारम्भ किया। महान समाज सुधारक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आज के दिन ही आर्य समाज की स्थापना की।
अपने भूले हुए पर्वों की परंपरा को पुनः स्थापित करने के लिए महर्षि दयानंद व आर्य समाज का बहुत बड़ा योगदान है।उन्होंने हमें बताया कि हमें अपनी संस्क्रति व परंपरा पर गर्व होना चाहिए। प्राकृतिक सौंदर्य व पेड़ पौधों पर लहराते नए कोपल व वातावरण में छाई नवीनता स्वयं नववर्ष का संदेश दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर दिसंबर की कड़ाके की ठंड में नशे की हालत में ओछी हरकत करने वाले कृत्य को नववर्ष कहना महा मूर्खता है।
आज के दिन सभी सनातनियों को यज्ञ कर अपने घरों में ओम ध्वज लगाकर अपने आस पड़ोस के लोगों के साथ मिलकर उत्साह पूर्वक पर्व मनाना चाहिए। युवा पीढ़ी में चेतना जागे तभी परिवर्तन संभव है हाल के कुछ वर्षों में सोशल मीडिया के प्रभाव से युवा पीढ़ी अपनी प्राचीन संस्कृति की ओर लौट रही है जो कि सुखद संकेत है। आज भी आधुनिकता और भौतिक वाद से ऊब चुके विदेश के लोग धर्म और अध्यात्म की खोज में भारत की ओर ही आते हैं।
इसलिए भारत को अपनी प्राचीन विरासत को संजोकर रखना आवश्यक है हम ही हैं जो विश्व को मानव कल्याण का मार्ग बाता सकते हैं। सरकारों को भी इस पर ध्यान देना चाहिए तथा अभी देशवासियों को भारतीय पर्वों को मानने के लिए प्रेरित करना चाहिए। जिला आर्य प्रतिनिधि सभा के मीडिया प्रभारी हरिओम शास्त्री ने बताया कि जिले की सभी आर्य समाजों में आज के पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
जिसमें प्रमुख रूप से आर्य समाज लोहाइ रोड मे सभा प्रधान आचार्य चंद्रदेव शास्त्री की अध्यक्षता में कार्यक्रम हुआ। वहीं गंगापार क्षेत्र में आर्य समाज सीढे चकरपुर, आर्य समाज कायमगंज, आर्य समाज भोलेपुर,आर्य समाज नवाबगंज, आर्य समाज अचारा , आर्य समाज जाफ़री रोड आदि स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में हरी सिंह फौजी, राजीव आर्य,जयपाल आर्य, मैनेजर सिंह,अर्जुन आर्य,प्रमोद पाल, राजीव गुप्ता,जगदीश आर्य स्वामी श्यामानंद आर्य प्रशांत आर्य,मंजू सिंह,रेनू आर्या, उदिता आर्या आदि का विशेष योगदान रहा।