आर्य महासम्मेलन: वेदों की आज्ञा का उलंघन करने के कारण मानव जाति पर आती है विपत्तियां

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय आर्य महा सम्मेलन का आज से राजेपुर क्षेत्र के ग्राम राई में शुभारंभ हो गया। जिसमें आर्य जगत के सुविख्यात विद्वान मनीषियों के द्वारा तीन दिन तक निरन्तर वैदिक धर्म का प्रचार- प्रसार किया जाएगा। कार्यक्रम का शुभारम्भ यज्ञ के द्वारा हुआ।

कन्या गुरूकुल नजीबाबाद की ब्रह्मचारिणी माद्री आर्या व उदिता आर्या ने वेद मंत्रों के द्वारा यज्ञ संपन्न कराया। यज्ञ के ब्रह्म जिला आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने यजमानों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि वेद परमात्मा की वाणी है जिसके अनुसार चलकर ही मनुष्यमात्र का कल्याण सम्भव है स्वामी दयानन्द ने मानव जाति को भूले हुए वैदिक पथ पर वापस लौटने का संदेश दिया। वेदों की आज्ञा का उलंघन करने के कारण मानव जाति पर नाना प्रकार की विपत्तियां आती हैं।

इनका समाधान एक मात्र उपाय वेदों की आज्ञा का पालन करना है। आज मतमतान्तरों के मानने वालों ने अपनी – अपनी पुस्तकों को धर्म ग्रंथ का नाम देकर समाज मे भेदभाव व छुआछूत को बढ़ावा दिया है। वेद सबको समानता का अधिकार देता है और किसी के साथ कोई भेद भाव नहीं करता। आचार्य संदीप आर्य ने कहा की वर्तमान वर्ष हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि जहां देश आज आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।

दूसरी ओर देश की आजादी में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाला संगठन आर्य समाज अपने संस्थापक स्वामी दयानंद की 200 वीं जयंती मना रहा है। देश की स्वतंत्रता के मूल में दयानन्द सरस्वती थे जिन्होंने सर्वप्रथम स्वराज का मंत्र देकर भारत के सोए हुए जनमानस को जगाकर स्वतंत्रता के लिए तैयार किया। कासगंज से आईं किरण शास्त्री ने अपने भजनों के माध्यम से महऋषि को याद किया। माद्री आर्या ने अपने भजन ‘प्रभु नाम के सुमिरन को दिल से न भुला देना’ के द्वारा भक्तिरस की धारा प्रवाहित की।

पडित ओमवीर आर्य ने सामाजिक कुरीतियों व छुआछूत को त्यागने का संकल्प कराया। कार्यक्रम में आचार्य ओमदेव, हरिओम शास्त्री,सत्येंद्र बंगाली,इंद्रजीत आर्य, बाबा श्यामानंद, दिनेश सिंह,सुरेन्द्र सिंह,सर्वेश सिंह,ओमेंद्र सिंह,आदि उपस्थित रहे।

error: Content is protected !!