फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) ब्लॉक राजेपुर के ग्राम राई में आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय आर्य महासम्मेलन आज धूम धाम से समापन हुआ। कार्यक्रम के अंतिम दिवस पर आए हुए वक्ताओं को सुनने के लिए श्रोताओं की भारी भीड़ उमड़ी। मध्यान्ह की सभा मे राष्ट्ररक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया।
जिसमें सभी विद्वानों ने राष्ट्र के समक्ष आयी हुई वर्तमान चुनौतियों एवं उनके निराकरण के उपायों पर विचार प्रस्तुत किये। सभा को संबोधित करते हुए आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने कहा कि राष्ट्र कोई भूमि का टुकडे का नाम नहीं है, प्रत्येक राष्ट्र की उन्नति का आधार उसके जिम्मेदार नागरिक होते हैं। राष्ट्र तभी तक उन्नति करता है जब तक उसके युवाओं की प्राथमिकता राष्ट्रभक्ति होती है। किरण शास्त्री ने वीर शिरोमणि महाराणाप्रताप जयंती के अवसर पर उनको अपने गीतों के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने ऐतिहासिक प्रसंगों को सुनाकर राणा के जीवन से प्रेरणा लेने का संकल्प कराया। गुरूकुल नाजीवाबाद की ब्रह्म चारिणी माद्री आर्या ने देश की प्रगति में नारियों के योगदान को बताया। उन्होंने कहा जिनके जीवन का लक्ष्य राष्ट्र की उन्नति होती है उन्हीं का जीवन महान होता है। कुमारी उदिता आर्या ने ‘रेशमी शलवार कुर्ता जाली का था केसरिया वाना झांसी वाली का’ गीत गाकर देश की स्वाधीनता आंदोलन में रानी के योगदान को बताया।
पडित ओमवीर आर्य ने राष्ट्र के लिए उन्नत नागरिकों के निर्माण के लिए संस्कारों की उपयोगिता बताई। संदीप आर्य ने कहा आज की युवा पीढ़ी का आदर्श राणाप्रताप न होकर फिल्मी कलाकर हैं जो उनके पतन का कारण है। यदि हमें अपने जीवन मे स्वाभिमान से रहना है तो हमारा आदर्श दयानंद जैसे महान व्यक्तित्व होने चाहिए। सभा की अध्यक्षता डॉ शिवराम सिंह आर्य ने की।
उन्होंने कहा कि स्वामी दयानन्द पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हमे हमारे गौरवशाली पूर्वजों के स्वाभिमान से जोड़ा युवाओं को आर्य समाज के साथ जुड़कर राष्ट्र की प्रगति के लिए कार्य करना चाहिए। स्नेहा आर्या ने प्रभु भक्ति के गीत सुनाए। प्रातः काल यज्ञ आचार्य संदीप आर्य व माद्री आर्या ने सम्पन्न कराया। कार्यक्रम में आचार्य ओमदेव,हरिओम शास्त्री, डॉ हरिनंदन सिंह आर्य घनश्याम आर्य आचार्य योगेश सत्येंद्र आर्य,दफेदार आर्य,गार्गी आर्या, आदि उपस्थित रहे।