एसपी के हडकाने पर पुलिस ने तीन हत्यारों को गिरफ्तार कर गायब बाबा का बरामद किया कंकाल

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज) पुलिस अधीक्षक विकास कुमार के द्वारा हड़काएं जाने पर थाना मऊदरवाजा पुलिस ने तीन हत्यारों को गिरफ्तार कर गायब बाबा पातीराम का कंकाल बरामद किया है। थाना मऊदरवाजा पुलिस ने ग्राम ढकेलापुर निवासी तीसराम पुत्र छेदलाल, मोहल्ला ढुइयां निवासी रमेश पुत्र रामसनेही एवं ग्राम हैबतपुर गढ़िया स्थित काशीराम कॉलोनी 43/ 685 निवासी रामनरेश पुत्र स्वर्गीय श्रीपाल को गिरफ्तार कर लिया। जिनको पुलिस लाइन के सभागार में मीडिया के सामने पेश किया गया।

पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने हत्याकांड के बारे में मीडिया को व्यापक जानकारी दी। बेटे अवनीश ने 13 अक्टूबर को पिता पातीराम की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई। जिसकी जांच वरिष्ठ उप निरीक्षक सुहेल खान को सौंप गई। अवनीश ने पुलिस को बताया की पिता पातीराम को 15 दिन पूर्व तीसराम बुलाकर ले गया था। पुलिस ने तीसराम को हिरासत में लेकर पूछताछ की और दो दिन बाद उसे छोड़ दिया। पुलिस की निष्क्रियता देख अवनीश ने करीब एक सप्ताह बाद पुलिस अधीक्षक से थाना पुलिस के द्वारा लापरवाही बरते जाने की शिकायत की। एसपी ने थाना पुलिस के पेंच कसे और शीघ्र ही अपह्त को बरामद करने की हिदायत दी।

एसपी के हडकाने पर सक्रिय हुई पुलिस ने तीसराम के साडू रमेश कठेरिया को पकड़ कर पूछताछ की तो रमेश ने पातीराम की हत्या की घटना स्वीकार कर मामले में रामनरेश को भी शामिल बताया। पुलिस ने हत्यारों की निशानदेही पर बाईपास निखासा रेलवे लाइन की झाड़ियों में पातीराम के कंकाल को बरामद किया। पुलिस को पातीराम के शव की हड्डियों को एकत्र करना पड़ा। पुलिस ने पातीराम की घड़ी, छड़ी, मोबाइल चप्पलें सफेद मोती की माला, बाल बांधने वाला जू,ड़ा, सफेद रुमाल, काले रंग की कोटी, कुर्ता एवं थैला बरामद कर लिया थैले में पातीराम की बैंक पासबुक एवं आधार कार्ड था। पुलिस को मौके पर पातीराम की हत्या में प्रयोग की गई खून आलूदा ईट भी बरामद कर ली।

पुलिस द्वारा हत्याकांड के संबंध में बताई गई घटना इस प्रकार है।

अभियुक्त तीसराम ने पूछने पर बताया कि साहब मैं पातीराम को करीब एक डेढ़ वर्षों से जानता था और मेरा अक्सर उसके साथ उठना बैठना था। हम लोग अक्सर साथ में बैठकर दारू पी लिया करते थे। मैं तथा पातीराम लोगों की जमीन पता कर उनको दिखाकर खरीदने बेचने का काम भी करते थे। पातीराम पिछले करीब 10 वर्षों से यह सब काम छोड़ कर बाबा बनकर रहने लगे थे और लोगों को मोटापा कम करने व जानवरों के कीड़े पड़ने की दवा देने का काम करने लगा था। साहब मुझे ठीक से दिन तो नहीं याद है कि उसे दिन कौन दिन था और कौन सी तारीख थी।

मैंने सुबह करीब 6 बजे के आसपास बाबा को पास फोन करके अपने समधी रमेश कठेरिया यहां मिलने को कहा था। मैं पैदल ही घर से निकला था और रास्ते से ही मैंने अपने समधी रमेश को फोन किया था कि क्या बाबा घर पर पहुंच गये है तो उन्होंने बताया था कि बाबा घर पर आ गए हैं तुम आ जाओ। फिर मैं अपने संमधी के घर मोहल्ला ढुईया गया। मेरे समधी को रुपयों की कुछ आवश्यकता थी उन्होंने मुझसे कहा था कि 15-20 हजार का इंतजाम कर देना तो मैंने कहा था कि आज इंतजाम हो जाएगा। बाबा ने कहा चलो नवाबगंज में किसी से मिलकर आना है किसी से पैसे लेने हैं तो मैं उनके साथ चल दिया। मैं व बाबा जसमई दरवाजा से टेंपो से नवाबगंज पहुंचे।

वहां हम लोग करीब एक-दो घंटे रुके फिर कोई व्यक्ति आया। उसने बाबा को एक थैली दी मुझे नहीं पता उसमें क्या था लेकिन मैंने बाबा से पूछा तो उन्होंने बताया कि इसमें पैसे हैं। तब मैं व बाबा टेंपो से फिर बैठकर चुंगी पर आ गए। मेरी समधी से बात हुई तो मैंने उनको बताया कि मैं चुंगी पर हूं तथा चैन वाला रामनरेश भी यहीं पर है। तुम यही आ जाओ मैं तुम्हें पैसे दे देता हूं। मेरे समधी वहीं आ गए समधी ने मुझसे पूछा तो मैंने कहा कि आज तुम्हें पैसा मिल जाएंगे फिर हम लोगों ने वही चुंगी के पास दारू पी। इसी बीच चुपके से मैं अपने समधी व चैन वाले रामनरेश की बातों में पड़ गया।

वहां हम लोगों ने दारु पी तथा करीब 6-7 बजे के आसपास हम लोग वहां से टाउन हॉल गए। टाउन हॉल से हम लोग टिर्री में बैठकर जसमई दरवाजा होते हुए नखासा बाजार के पास पहुंचे। वही हम लोगों ने बाबा को टिर्री से उतार लिया बाबा ने एक बार कहा भी इधर कहां चल रहे हो तो तीसराम ने कहा कि यही पास में बिटिया का घर है वहीं चलकर रुक जाते हैं। हम लोग अक्सर वही चुंगी के पास दारू पिया करते हैं तथा हम लोग एक दूसरे से अच्छे से परिचित हैं रमेश को मैं तीसराम का समधी होने की वजह से जानता हूं।

जब जब हम लोग नखासा बाजार के पास उतरे तो बाबा के कदम वही लड़खड़ा रहे थे वह अपने आप चलने में सक्षम नहीं था। फिर हम लोगों ने उसको पकड़ कर रेलवे लाइन पार झाड़ियों की तरफ लेकर गए। हम लोग बाबा को पकड़े हुए थे तथा जब झाड़ियां के पास गए। तीसराम ने बाबा को वहीं पर धक्का दे दिया बाबा गिर गया उसको कुछ होश नहीं रहा। मैंने बाबा के पैर पकड़े थे व रमेश ने बाबा के हाथ पकड़ लिए तथा तीसराम ने बाबा की गर्दन रस्सी से कसकर दवाई और पास पड़ी ईंट से उसका सिर कुचला जिससे बाबा मर गया। बाबा के पास से एक छोटा सा मोबाइल और रूपये भी निकाले थे।

घबरा कर वहां से जल्दी जल्दी निकलने लगे हम तीनों लोग टाउन हॉल तक साथ आये। रास्ते में ही मुझे तीसराम ने 200 रूपये दिए थे तथा कहा था कि कल मिलने के बाद हिसाब कर लेंगे। मुझे यह नहीं पता कि बाबा के पास कितने रुपए थे लेकिन एक मोबाइल और एक काली पन्नी बाबा की सदरी की जेब से निकाली थी उसके बाद तीसराम मेरे पास दोबारा नहीं आया जो बात थी मैंने आपको बता दी।
एसपी विकास कुमार ने मीडिया को बताया कि पाती राम 24 सितंबर को गायब हुए थे परिजनों ने विलंब से गुमशुदगी दर्ज कराई। परिजनों ने बरामद कपड़ों के आधार पर पातीराम के शव की शिनाख्त कर ली है पातीराम के डीएनए का परीक्षण कराया जाएगा।

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