यज्ञ करना परम धर्म: धर्महीन मनुष्य पशु समान

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) मेला राम नागरिया के वैदिक क्षेत्र चरित्र निर्माण शिविर में आज प्रतिदिन की भांति प्रातः काल देव यज्ञ का आयोजन किया गया। आचार्य प्रदीप शास्त्री ने वेद मंत्रों से यज्ञ सम्पन्न कराया। यज्ञ ब्रह्मा आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने अपने आशीर्वचन में कहा कि यज्ञ करना परम् धर्म है और इस परम् धर्म का पालन करने वाला मनुष्य ही सच्चे अर्थों में मनुष्य कहलाने का हकदार है क्यों कि धर्म से हीन मनुष्य पशु के समान होता है। आज दुनियां में जितने भी झगड़े धर्म के नाम पर हो रहे हैं वे सब धर्म को समझ न पाने के कारण हो रहे हैं। धर्म का काम समाज को तोड़ना नहीं वल्कि धर्म तो समाज को जोड़ने का काम करता है। झगड़ा करना मत मतान्तरों का काम है दुर्भाग्यवश आज हमने मत-मजहबों को ही धर्म मान लिया है यही समस्या की जड़ है।

उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने भूले हुए वैदिक धर्म से हमको जोड़ा और कहा कि जैसा व्यवहार हम अपने साथ चाहते हैं वैसा ही व्यवहार अन्यों के साथ करें यही धर्म है। महर्षि ने कहा कि धर्म का मूल वेद हैं जबसे लोगों ने वेदों का पढ़ना पढ़ाना छोड़ दिया तब से धर्म के स्वरूप को भूल बैठे और स्वार्थी धर्माधिकारियों ने धर्म की मनमानी व्याख्या कर लोगों को भ्रम में डाल दिया। स्वामी दयानंद ने मनुस्मृति आदि प्राचीन ऋषिकृत ग्रंथों का उदाहरण देकर धर्म के वास्तविक स्वरूप को बतलाया। आर्य समाज का उद्देश्य उन्हीं विचारों को जन-जन तक पहुंचना है। पश्चात महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में एमडी एस लाइब्रेरी कमालगंज के तत्वावधान में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में साधु संन्यासी व कल्पवासियों ने ऋषि प्रसाद ग्रहण किया।

दोपहर की सभा मे धर्मवीर आर्य,हरदेव आर्य,उदिता आर्या आदि ने अपने मधुर भजनों के माध्यम से धर्म की सुंदर व्याख्या की। कार्यक्रम में स्वामी महेन्द्रानंद, संजीवानंद देवानंद, बाबा जमुना दास,डॉ रामकुमार सुरेश चंद्र वर्मा,दीपू राजपूत,अर्जुन राजपूत प्रेमपाल आर्य,हरिओम शास्त्री, संध्या राजपूत,रेनू आर्या, अमृता आर्या आदि उपस्थित रहे।

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