फर्रुखाबाद (1दिसंबर) एफबीडी न्यूज। रिश्वतखोर दागी पुलिस कर्मियों ने लाखों रुपए खर्च करके विभागीय अधिकारियों व भाजपा नेता की मेहरबानी से अपनी नौकरी बचा ली है। यदि रिश्वतखोरी के मुकदमे में सही कार्रवाई होती तो पुलिसकर्मियों को सजा मिलती और नौकरी से भी हाथ धोना पड़ता।
10 अक्टूबर 2021 को रिश्वतखोरी के कांड में आवास विकास चौकी इंचार्ज विशेष कुमार सर्विलांस सेल का दीवान सत्येंद्र यादव एवं थाना मेरापुर के सिपाही रिंकू यादव व कपिल यादव फस गए थे। एसपी ने पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था। रिश्वतखोरी कांड की शुरुआत थाना मेरापुर के ग्राम नूरनगर निवासी रंजीत शाक्य के जन सेवा केंद्र से हुई थी घर के बाहर जन सेवा केंद्र चलाने वाले शातिर रंजीत ने आधार कार्ड बनाने में फर्जीवाड़ा किया था। इ
स बात की जानकारी मिलने पर दीवान सत्येंद्र यादव ने शातिर दिमाग का इस्तेमाल कर रुपए ठगने की योजना बनाई। इस योजना में सिपाही रिंकू व कपिल को शामिल किया गया। 2020 के दोनों सिपाही सादा कपड़ों में निजी कार से घर से रंजीत को पकड़ कर अचरा चौकी के निकट ले ग्रे और ढाई लाख रुपया की मांग की। रंजीत ने परिजनों व रिश्तेदारों को पकड़े जाने की जानकारी देकर रुपयों का इंतजाम करने को कहा।
रंजीत ने नगर मोहम्मदाबाद के 2 स्थानों पर अपने खाते से रुपए निकालने का ड्रामा किया। रंजीत को राजा नगला स्थित सपा नेता के कॉलेज ले जाया गया वहां रंजीत का फर्जीवाड़ा करने संबंधी वीडियो बनाया गया। रंजीत को नगर फर्रुखाबाद के बद्री विशाल कालेज के निकट पेट्रोल पंप ले जाया गया। सिपाहियों ने कार में 3 हजार का पेट्रोल डलवाया वहां रंजीत ने फोनपे से पेट्रोल के 3 हजार का भुगतान किया।
उसके बाद रंजीत को आवास विकास चौकी ले जाया गया। रंजीत के पिता श्याम पाल ग्राम उनासी निवासी मौसी का लड़का सर्वेश बहनोई आदि लोग रंजीत की पैरवी में फर्रुखाबाद पहुंचे। शिकायत मिलने पर भाजपा विधायक सुशील शाक्य आवास विकास पुलिस चौकी पहुंचे। विधायक को देखकर हडबडाये चौकी इंचार्ज बिजनेस कुमार उनकी आवभगत में लग गए।
विधायक ने रंजीत को पकड़ने की जानकारी कर एसपी के अवकाश होने के कारण अपर पुलिस अधीक्षक को घटना की जानकारी दी। विधायक ने एसपी से सवाल किया कि पुलिस भी रुपयों की वसूली करने के लिए पकड़ करने लगी है। घटना की जानकारी के जाने पर तत्कालीन थानाध्यक्ष देवीप्रसाद गौतम ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि मैंने सिपाहियों को किसी को पकड़ने के लिए नहीं भेजा।
एएसपी ने इस मामले में कार्रवाई करने का आश्वासन देकर रंजीत को छुड़वा दिया और थाने में तहरीर देने को कहा। रंजीत की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात पुलिस कर्मियों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली थी। जांच में कायमगंज के सीओ सोहराब आलम ने जांच में पुलिस कर्मियों के नाम खोल दिये। घटना के बाद से दागी पुलिस कर्मी फरार हो गए थे जिन्होंने मुकदमा खत्म कराने के लिए भाजपा नेता के अलावा सपा नेता इसे भी संपर्क किया।
विवेचना के दौरान सीओ ने अभियुक्त पुलिसकर्मियों पर सख्ती नहीं बरती बल्कि उन्हें मुकदमा निपटाने के लिए समय देते रहे। दागी पुलिसकर्मियों ने करीब 25 लाख रुपए खर्च करके मुकदमे में अपने पक्ष में हलफनामे लगवाए। सीओ ने 11 नवंबर को मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी ए जानकारी मिलते ही एसपी ने निलंबित पुलिस कर्मियों को बहाल कर दिया तभी पुलिस कर्मियों ने लाइन में आमद करा दी।
पुलिस कर्मियों ने रुपए खर्च होने की जानकारी नजदीकी लोगों को दी है। मालूम हो कि सत्येंद्र यादव की सर्विलांस में बीते कई वर्षों से तैनाती रही है। सर्विलांस वाले मोटी रुपयों की वसूली करते हैं जो व्यक्ति चोरी का मोबाइल फोन खरीदता है उससे मुंह मांगे रकम वसूलते हैं। चर्चा है कि मुकदमा खत्म कराने के लिए रंजीत के पिता को भी रुपए मिले हैं।
पुलिस ने रंजीत के खिलाफ फर्जीवाड़े के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अब रंजीत के विरुद्ध इस मामले में जांच कार्रवाई होनी चाहिए इन मामलों की शिकायत पुलिस के आला अधिकारियों से की जाएगी।