बेटियों के चारित्रिक पतन को बचायें

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) आर्य समाज के 150 वें स्थापना वर्ष के पावन अवसर पर संगठन द्वारा देश भर में अनेक आयोजन किये जा रहे हैं। इसी क्रम में गंगापार क्षेत्र के सीढे चकरपुर गांव मे तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव का आयोजन किया गया। जिसके अंतिम दिवस की प्रातःकाल वेला में सामूहिक यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें क्षेत्र वासियों ने श्रद्धापूर्वक आहुतियां डाल कर ईश्वर से सुख संवृद्धि की कामना की। आचार्य संदीप आर्य ने वैदिक मंत्रों से यज्ञ सम्पन्न कराया।

उन्होंने कहा कि संसार के समस्त जड़ और चेतन देवताओं का मुख यज्ञ की अग्नि है इसको दिया हुआ पदार्थ सबको बराबर प्राप्त होता है। अतः देव ऋण से मुक्त होने के लिए सभी मनुष्यों को देव यज्ञ करना चाहिए। ताकि हमारे जीवन मे निरंतर सुख की बृद्धि होती रहे। मध्यान्ह की सभा में कन्या गुरुकुल नजीबाबाद से आयी कुमारी माद्री आर्या ने अपने भजनों के माध्यम मातृशक्ति को राष्ट्रभक्ति के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा आज बेटियों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार देना अति आवश्यक है।

क्योंकि संस्कारों से हीन नारी स्वार्थी लोगों के हाथ की कठपुतली बनकर जगह जगह ठगी जाती है। उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया के बढ़ते दुष्प्रभाव से बेटियों का चारित्रिक पतन हो रहा है। इससे बचने की आवश्यकता है। बेटियों का आदर्श झांसी की रानी, दुर्गा भावी व नीरा आर्या जैसी वीरांगनाएं होनी चाहिए न कि बॉलीवुड की अभिनेत्रियां। उन्होंने कहा कि हम सब महर्षि दयानंद के ऋणी हैं जिन्होंने नारी जाति पर अनगिनत उपकार किये जिसकी वजह से आज बेटियां पढ़ लिख कर समाज के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थित दर्ज करा रही हैं।

आज की नारी को स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में अंतर समझकर अपनी मर्यादा में रह कर परिवार एवं समाज निर्माण का दायित्व निभाना चाहिए । उनके गीत ” महिलाओं इस धरा की शोभा व शान तुम हो निर्माण करने वाली शक्ति महान तुम हो” पर श्रोता भावविभोर हुए। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने अपने उदबोधन में कहा कि स्वामी दयानंद जैसे युग ऋषि ने इस पावन धरा पर आकर हम सब को वेद ज्ञान से पुनः जोड़ा तथा ईस्वर के सच्चे वैदिक स्वरूप का दर्शन कराया।

उनके आगमन से पूर्व भारत वर्ष जड़ जड़ित पाखंड तथा गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। स्वामी जी ने लोगों को कुरीतियों तथा पाखण्डों से निकाल कर जातपात व छुआछूत मिटाने की शिक्षा दी। उन्होंने परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़े राष्ट्र की स्वतंत्रता आंदोलन के लिए युवाओं को प्रेरित किया। स्वामी दयानंद ने संस्कृत पठन पाठन तथा गौ पालन व गायों के संरक्षण पर जोर दिया। गौ करुणा निधि जैसी पुस्तक लिखकर गौ माता के महत्व को समझाकर गायों के संरक्षण व गौ रक्षा हेतु हस्ताक्षर अभियान चलाया।

आज आर्य समाज के 150 वें स्थापना वर्ष पर पुनः उन संकल्पों को आगे बढ़ाने की शपथ लेकर मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। बुलंदशहर से आये पंडित ओमवीर आर्य व उदिता आर्या आदि ने ईश्वर भक्ति के गीत सुनाए। कार्यक्रम के संयोजक श्यामानंद बाबा व सुरेंद्र सिंह आर्य ने आये हुए अतिथियों को वैदिक साहित्य भेंटकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में हरिओम शास्त्री, दिनेश पाल सिंह सुरेंद्र सिंह नरेशपाल, सर्वेश सिंह, देवपाल सिंह कन्हैया बक्स सिंह रतिपाल सिंह, चन्द्रहास सिंह,उदयराज आर्य उत्कर्ष आर्य, रवि राजपूत रेनू आर्या आदि उपस्थित रहे।

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