सुरेश बौद्ध बोले: महाविहार जैसी स्थित संकिसा स्तूप की होगी

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) संकिसा स्थित वाईबीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश चंद्र बौद्ध ने महाबोधि महाविहार को मुक्त कराने की चर्चा के दौरान कहा की एक दिन यही स्थिति संकिसा स्तूप की होगी। श्री बौद्ध ने नगर फर्रुखाबाद के बाईपास स्थित आरपी पैलेस में तथागत संभ्रान्त नागरिक सामाजिक संगठन की बैठक में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि तथागत गौतम बुद्ध ने 563 ईसा पूर्व बिहार के उर्वेल नामक जंगल में बोधि वृक्ष के नीचे बुद्धत्व को प्राप्त किया था।

लगभग 230 ईसा पूर्व देवानंद प्रिय सम्राट अशोक ने महाबोधि महाविहार नाम से एक भव्य बिहार की स्थापना की थी जो आज बुद्ध गया में महाबोधि महा बिहार के नाम से ही जाना जाता है। आज भी यह महाबिहार दुनिया के बौद्धों की आस्था एवं विश्वास का प्रमुख स्थल है। सदियों से दुनिया के विभिन्न देशों से बौद्ध श्रद्धालु यहां दर्शन, ध्यान एवं कृतज्ञता का भाव प्रदर्शित करने आते हैं। देश की आजादी के बाद संविधान लागू होने से पहले यानी 1949 में महाबोधि महाबिहार का प्रबंध करने के लिए एक्ट बनाया गया था जिसको बीटी एक्ट 1949 के नाम से जाना जाता है।

श्री बौद्ध ने कहा कि एक्ट के अंदर कानून बनाया गया कि महा बिहार प्रबंधन कमेटी में फुल 9 सदस्य होंगे जिनमें से 4 हिंदू और 4 बौद्ध तथा अध्यक्ष तत्कालीन गया का हिंदू जिलाधिकारी ही होगा। गैर हिंदू होने पर अध्यक्ष नहीं हो सकता। उन्होंने सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि ऐसा कानून बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी? महाबोधि महाविहार बौद्धों की विरासत को बौद्ध समुदाय को पूर्ण रूप से क्यों नहीं सौंपा गया?

महाबोधि महा बिहार कैंपस को अन्य तीर्थ की तरह एंक्रोचमेंट से मुक्ति क्यों नहीं किया गया? महाबोधि महाविहार प्रबंधन समिति में हिंदू के अतिरिक्त किसी अन्य समुदाय का अध्यक्ष क्यों नहीं हो सकता? ऐसे सवालों को कई दशक पहले से भारत ही नहीं विदेश के बौद्ध विद्वानों ने भी उठाया जिनमें से मुख्य रूप से अनागारिक धर्मपाल श्रीलंका पूज्य भंते सुरेई सासानी जापान। महाबोधि माहा बिहार को मुक्त करने की पुरानी मांग को लेकर के पुनः आकाश लामा जी के नेतृत्व में एक जबरदस्त मांग देश में खड़ी हुई है।

आप सभी भाईयो से अपील है आप सब लोग तन मन धन से बौद्धों की विरासत महाबोधि महाविहार को पूर्ण रूप से बौद्धों के हाथ में लेने तथा बीटी एक्ट 1949 को खत्म करने के लिए मजबूती के साथ आवाज उठायें। श्री बौद्ध ने डॉ अंबेडकर की दूरदर्शिता की प्रशंसा करते हुए कहा कि संविधान लिखने के दौरान बीटी एक्ट को खत्म कर दिया जाता तो महाबिहार में सभी सनातनियों का कब्जा हो जाता? उसे समय यहां बौद्ध भिक्षु व उपासक नहीं थे तब मजबूरन विदेश से 3 भिक्षु लाये गए थे।

आंदोलन में आकाश लामा के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने पूरे देश में भ्रमण कर 12 फरवरी से महाबोधि महाविहार की मुक्ति के लिए आंदोलन शुरू किया है। जिसमें लामाओं के अलावा अंबेडकर वादियों का बहुत बड़ा योगदान है। यह आंदोलन बिहार सरकार के गले की हड्डी बन गया है। श्री बौद्ध ने भगवान बुद्ध के वंशजों को चेताते हुए कहा कि यदि आप लोग जिंदा है तो अपनी विरासत को बचाने का भरपूर प्रयास करें। जिससे देशवासी भगवान बुद्ध के वंशजों के बारे में जान सके।

उन्होंने कहा यदि प्रदेश के करीब 3 करोड़ शाक्य कुशवाहा मौर्य सैनी समाज के लोग जाग गए तो उनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान बन जाएगी। समाज के आंदोलन दबाव पढ़ने पर महाविहार में अवैध रूप से जबरन रहने वाले सनातनियों को महाविहार का पद छोड़ना पड़ेगा। प्रमुख बौद्ध विचारक सुरेश बौद्ध ने कहा महाबोधि महाविहार जैसी स्थिति संकिसा के स्तूप की होती जा रही है किसकी लड़ाई लड़ने को के लिए घरों से निकलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अब देश में धर्म जात की लड़ाई चल रही है और सत्ता में वही काबिज होगा जो धर्म जाति की बात कहेगा।

उन्होंने समाज के लोगों को सचेत करते हुए कहा की बौद्ध समाज के राजाओं ने 1700 वर्ष भारत देश में शासन किया सम्राट अशोक जैसे महान शासक हुए। उन्हें किसी तरह भी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने समाज की संस्थाओं के झोले में चलने पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आप लोग अपनी टोपी लगाये किसी नेता की टोपी न लगाये। उन्होंने बताया की 28 जून को वाईबीएस सेंटर में दोपहर 2 बजे से महाबोधि महाविहार पर एक चिंतन शिविर का आयोजन किया गया है।

उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शाक्य कुशवाहा मौर्य सैनी समाज एवं बौद्ध अनुयाइयों अंबेडकर वादियों से अधिक से अधिक संख्या में 28 जून को सेंटर पहुंचने की अपील की है। चिंतन शिविर के संयोजक भंते सम्यक बोधी ने बताया कि वह महाबोधि महाविहार के आंदोलन से जुड़े हैं जेल जा चुके हैं और आगे भी जेल जाने की संभावना है।

उन्होंने 135 सालों से आंदोलन चलाये जाने की जानकारी देते हुए बताया की 13 वर्षों से मुकदमे में कोई सुनवाई नहीं हुई है। अब 29 जुलाई को जजमेंट के लिए तारीख लगी है। सभी लोगों को मजबूती से आंदोलन के लिए खड़ा होना पड़ेगा। महाबोधि मियां महाविहार जैसी स्थिति संकिसा स्तूप की भी है। संगठन के संरक्षक अवनीश शाक्य ने महाविहार को मुक्त करने के लिए जोरदारी से आंदोलन चलाए जाने का आवाहन करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति का सामाजिक कार्यों में योगदान नहीं है वह मानव नहीं है।

उन्होंने जनपद इटावा में पुरोहित का सर मुंडवाए जाने जाने की निंदा करते हुए कहा कि संविधान के लागू होने के बावजूद ऐसी ओछी हरकतें की जा रही है। जिनका ढाई हजार वर्षो से विरोध किया जा रहा है। डॉ भोजराज शाक्य, राजकमल शाक्य ने विचार व्यक्त करते हुए आंदोलन में सहयोग करने का वादा किया। कार्यक्रम का संचालन करने वाले जिलाध्यक्ष शिव कुमार शाक्य ने सुरेश चंद बौद्ध के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी। वादा किया कि संगठन के अधिक से अधिक लोग 28 जून को संकिसा पहुंचेंगे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अंचल सिंह कुशवाहा ने की।
बैठक में संगठन के मीडिया प्रभारी आनंद भान शाक्य, उपाध्यक्ष संतोष शाक्य, उपाध्यक्ष गिरजा शंकर शाक्य, कोषाध्यक्ष राधेश्याम शाक्य, शिक्षक सभा के जिलाध्यक्ष शिवकुमार शाक्य, राम महेश कुशवाहा, मैनपुरी के अभय शाक्य, अर्पित शाक्य, हेमंत कुमार शाक्य, मानेंद्र सिंह, धर्मेंद्र कुशवाहा, महेश बाबू शाक्य, कमलेश शाक्य, नीलेश उर्फ मोनू शाक्य, रामेश्वर सिंह शाक्य, जागेश्वर सिंह शाक्य, सर्वेश कुमार शाक्य, कालीचरण शाक्य, डॉ धर्मवीर शाक्य, डॉ भोजराज सिंह शाक्य, बसंत लाल, शेर सिंह शाक्य, राजेश शाक्य, दीपक शाक्य आदि लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ बुद्ध वंदना से हुआ।

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