फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़)। कथित पत्रकार माफिया का दबाव पड़ने के कारण लखनऊ जाने के लिए अड़े पत्रकार सीओ को ज्ञापन देकर वापस लौट गए। लखनऊ मुख्यमंत्री से मिलने जाने के लिए बीते दिन अमृतपुर से रवाना होने वाले पत्रकारों का दल जब बीती रात पुलिस लाइन के पास से गुजर रहा था तभी संगठन के सदस्य पत्रकार माफिया ने फोन पर प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन के तहसील अध्यक्ष पर दबाव डाला कि एएसपी को ज्ञापन देखकर वापस लौट जाओ। नहीं तो संगठन को भंग कर देंगे। संगठन का कोई सहयोग न मिलने के बजाय धमकाए जाने के कारण तहसील अध्यक्ष के हौसले पस्त हो गए।
संगठन के तहसील अध्यक्ष प्रताप यादव ने एफबीडी न्यूज़ को बताया कि मैंने चित्रकूट में एएसपी से वार्ता करने से साफ मना कर दिया था। जब हम लोग रात करीब 10.45 बजे पुलिस लाइन के पास से गुजर रहे थे तभी एएसपी का फोन आया उन्होंने बताया कि मैं व्यस्त हूं आप लोग सीओ लाइन को ज्ञापन दे दें। पुलिस लाइन के पास सीओ लाइन हम लोगों के पास आए उन्होंने कहा कि आप लोगों की एएसपी से बात हो गई है मुझको ज्ञापन दे दें। हम लोगों ने सीओ लाइन को ज्ञापन दे दिया और वापस लौट गये। श्री यादव ने बताया कि फोन वार्ता के दौरान एएसपी ने समस्या का समाधान करने के लिए शीघ्र ही थाना अध्यक्ष को हटाए जाने का वादा किया है।
उन्होंने बताया कि जिले में ही ज्ञापन देने के लिए मुझ पर संगठन के पदाधिकारी ने दबाव डाला। हम लोग इस बात से सहमत नहीं थे मुझे संगठन को भंग करने की धमकी दी गई। तब कमजोरी महसूस होने के कारण हम लोगों ने लखनऊ जाने का निर्णय टाल दिया। ज्ञापन देते समय पत्रकार लक्ष्मी शरन राठौर, आकाश सिंह, अनूप सिंह, श्याम सिंह, नवीन मिश्रा, अनुज कुमार, अभिषेक तिवारी आदि करीब दो दर्जन पत्रकार मौजूद थे। मालूम हो कि संगठन के पूर्व दिवंगत राष्ट्रीय अध्यक्ष की एक कथित पत्रकार भइया कह कर जी हजूरी करता था। चमचागिरी से राष्ट्रीय अध्यक्ष उसकी हां में हां मिलाने लगे और वह व्यक्ति दबंगई में पत्रकारों पर भी हुकुम चलाने लगा। वह व्यक्ति खबर तो छोड़ो अच्छे ढंग से लिखना भी नहीं जानता है लोग उसे उसके आचरण के कारण दलाल के नाम से भी पुकारते हैं।
उसे कभी पत्रकारों की तरह कवरेज अथवा खबर लिखते नहीं देखा गया। उसको केवल संगठन के मंच पर देखा गया। अमृतपुर के पत्रकारों ने संगठित होकर अपनी ताकत का जिला प्रशासन को एहसास कराया है। फर्रुखाबाद के इतिहास में तहसील स्तर से इतना जबरदस्त प्रदर्शन कभी नहीं देखा गया। जागरुक पत्रकारों को पत्रकार माफिया का पर्दाफाश कर बहिष्कार करना चाहिए। नहीं तो पत्रकारों की बची खुची इज्जत भी मिट्टी में मिल जाएगी।

