आर्य समाज के यज्ञ व सत्संग का आयोजन

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) आज आर्य समाज कमालगंज में साप्ताहिक यज्ञ तथा सत्संग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शामिल हुए श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव के साथ यज्ञ में आहुतियां प्रदान की। आर्य समाज के पुरोहित आचार्य संदीप आर्य ने यज्ञ सम्पन्न कराया उन्होंने सत्संग की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सत्संग शब्द दो शब्दों से बना है सत् अर्थात् सत्य, ईश्वर और संग अर्थात् साथ। वैदिक सत्संग का अर्थ है सत्य, ज्ञान और ईश्वर के साथ रहना। जब मनुष्य वेदों, ऋषियों और धर्मग्रंथों के उपदेशों का श्रवण करता है, तो उसके भीतर का अज्ञान मिट जाता है और ज्ञान का प्रकाश फैलता है।

वैदिक सत्संग हमें सच्चा जीवन जीना सिखाता है। यह हमें कर्तव्यनिष्ठता, सत्य, करुणा और सेवा का मार्ग दिखाता है। सत्संग से मनुष्य का चरित्र निर्मल होता है, उसका मन शुद्ध होता है और जीवन में शांति आती है। यह हमें यह समझाता है कि जीवन केवल भोग-विलास के लिए नहीं, बल्कि आत्मोन्नति और ईश्वर-प्राप्ति के लिए है। सत्संग से समाज में प्रेम, सद्भाव और सहयोग की भावना बढ़ती है। वैदिक सत्संग ही वह दीपक है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर जीवन को प्रकाशमय बनाता है। उन्होंने कहा कि आज सत्संग के नाम और जगह-जगह पाखण्ड परोसा जा रहा है ईस्वर के स्थान पर भोले भाले श्रद्धालुओं से व्यक्ति विशेष की पूजा कराई जा रही है जो वेद विरुद्ध तथा अनुचित है।

आर्य समाज द्वारा आयोजित वैदिक सत्संग हमें वेदों का कल्याणकारी मार्ग दिखाता है अतः हम सबको चाहिए कि हम नियमित रूप से वैदिक सत्संग में भाग लें और अपने जीवन को धर्ममय, सुखमय तथा सफल बनाएं। कानपुर से आयीं उर्मिला आर्या ने अपने मधुर भजनों के माध्यम से बेटियों को संस्कारित करने पर जोर दिया उन्होंने कहा कि बेटियाँ समाज और परिवार की आधारशिला होती हैं। उनके संस्कार ही आने वाली पीढ़ी का भविष्य बनाते हैं। वैदिक सत्संग से बेटियों को सच्चे ज्ञान, मर्यादा, विनम्रता और धर्म का बोध होता है।

सत्संग उन्हें यह समझाता है कि जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक सुख नहीं, बल्कि सत्य, करुणा और आत्मबल से युक्त जीवन जीना है। वेदों में नारी को अत्यंत सम्माननीय स्थान दिया गया है। सत्संग में वेद-मंत्रों और ऋषियों के उपदेशों को सुनकर बेटियाँ अपने आत्म-मूल्य को पहचानती हैं और दृढ़ चरित्र का निर्माण करती हैं। वैदिक सत्संग से उनमें ईश्वर-विश्वास, आत्मसंयम और समाजसेवा की भावना उत्पन्न होती है। इसलिए प्रत्येक बेटी को सत्संग से जोड़ना चाहिए ताकि वह संस्कारवान, शिक्षित और समाज का उज्जवल भविष्य बन सके। कार्यक्रम में संतोष आर्य,आलोक राठौर नीतीश राठौर,कुमरपाल, पवन पाण्डेय,सुरभि दीक्षित, नेहा आर्या,सौम्या आर्या,नेहा कुशवाहा,प्रीती कुमारी, आदि उपस्थित रहे।

error: Content is protected !!