अदालत से मनोज अग्रवाल दोष मुक्त: जानिए क्यों बरी हो गए?

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए कोर्ट कोर्ट अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आज साक्ष्य के अभाव में लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले मनोज अग्रवाल को आचार संहिता के मुक़दमे से दोष मुक्त कर दिया। श्री अग्रवाल को बरी कराने में अधिवक्ता डॉक्टर दीपक द्विवेदी की जबरदस्त पैरवी रही। बहुजन समाज पार्टी से लोकसभा के प्रत्याशी मनोज अग्रवाल के विरुद्ध 25 अप्रैल 2019 को थाना मऊदरवाजा में आचार संहिता के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विवेचन उपनिरीक्षक राम लखन ने 8 जुलाई 2019 को आरोप पत्र दाखिल किया। शिव प्रकाश अपर सांख्यिकी अधिकारी ने अदालत में अपने बयान में कहा है कि उनकी लेखपाल सुश्री नीरजा के साथ बसपा प्रत्याशी मनोज अग्रवाल के कार्यक्रम में ड्यूटी थी।

मुझे कार्यक्रम के कवरेज की सीडी 17 अप्रैल को मिली। सीडी का अवलोकन करने पर देखा गया मेजर एसडीसिंह मेडिकल कॉलेज बेवर में 15 अप्रैल को दिन के 2 बजे से रात 9 बजे तक कार्यकर्ता बैठक मैं प्रत्याशी मनोज अग्रवाल मौजूद थे। उनके कार्यकर्ताओं द्वारा करीब 250 लंच पैकेट बांटे गए। जो आचार संहिता का उल्लंघन था। एसडीएम सदर के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया गया था। बसपा प्रत्याशी मनोज अग्रवाल की ओर से सुनील कुमार गुप्ता व मनोज कुमार गुप्ता ने अदालत में गवाही दे कर बताया कि हम लोग बीएसपी कार्यकर्ता है। कार्यकर्ता सम्मेलन में लंच पैकेट वितरित नहीं किए गए कार्यकर्ता घर से भोजन लेकर आए थे। अधिवक्ता द्विवेदी वेदी ने अदालत में तथ्यपूर्ण दलील देकर मनोज अग्रवाल को बरी करवा दिया।

श्री द्विवेदी ने अपने बयान में कहा कि अभियोजन पक्ष अभियुक्त के विरुद्ध लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर पाया। अभियुक्त निर्दोष है उसके द्वारा कोई अपराध नहीं किया गया। अभियोजन पक्ष द्वारा जिस सीडी के आधार पर अभियोग पंजीकृत कराया गया उस सीडी को न्यायालय में प्रस्तुत प्रस्तुत नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि विवेचक द्वारा लापरवाही पूर्ण विवेचना करते हुए अभियुक्त के विरुद्ध सिर्फ इस आशय पर आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया कि अभियुक्त लोकसभा का प्रत्याशी था।

दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपी मनोज अग्रवाल को साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त कर दिया अदालत ने मनोज अग्रवाल को 20 हजार का व्यक्तिगत बंध पत्र दाखिल करने का आदेश दिया। विवेचक राम लखन ने सीडी जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य को अदालत में दाखिल नहीं किया। यदि सीडी अदालत में दाखिल हो जाती तो मनोज अग्रवाल को अदालत से बड़ी होना मुश्किल हो जाता।

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