फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) नये आलू का पैकेट 300 रुपयों से भी कम में बिकने के कारण किसानों की बर्बादी शुरू हो गई है। जिले में सर्वाधिक आलू का उत्पादन किया जाता है। जब आलू महंगा बिकता है तो किसानों के पास रुपए आते हैं किसानों के द्वारा खरीदारी किए जाने से ही जिले के बाजार में रौनक आती है। किसानों ने अपने को भगवान भरोसे छोड़ दिया है उनसे भाजपा सरकार एवं स्थानीय भाजपा नेताओं से किसी प्रकार के सहयोग की कोई उम्मीद नहीं है। आज एशिया की सबसे बड़ी आलू मंडी में आलू 281 रुपए से 451 रूपए में पैकेट की बिक्री हुई। इस भाव में किसानों की लागत निकलना तो दूर करीब 3 हजार रुपए प्रति बीघा तक का नुकसान हो रहा है। किसानों आय 2 गुना करने का दावा करने वाली भाजपा सरकार के नेता खामोश है।
जैसे कि उन्हें पता नहीं आलू किसानों की बर्बादी शुरू हो गई है। आलू आढ़ती एवं कृषि उत्पादक अरविंद राजपूत ने बताया की एक बीघा आलू की फसल में करीब 10 हजार की लागत आती है। जिसमें आलू का बीज, बुवाई, कीटनाशक दवा, सिंचाई एवं आलू की खुदाई की लागत शामिल है। एक बीघा में करीब 20 कुंतल आलू निकल रहा है जिसकी बिक्री से करीब 6-7 हजार मिलते हैं।
शीतग्रह मालिक महेंद्र कटियार ने बताया कि उनके यशोदा कोल्ड स्टोरेज में 38 हजार तथा सूरजमुखी शांति स्वरूप कोल्डस्टोरेज में 35 हजार पैकेट आलू किसानों का भंडारित है।
उन्होंने बताया कि यहां आलू की बिक्री न के बराबर है किसान मजबूरी में आलू को बाहर की मंडियां में ले जाकर बेच रहे हैं। बीते दिन 250 रुपए में आलू का पैकेट बिका, किसानों को आलू निकालने के लिए 120 रुपये का भाड़ा देना पड़ता है। मंदी के कारण आलू किसानों की बर्बादी हो सकती है।
आलू आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर उर्फ रिंकू वर्मा ने बताया कि शीतगृहों में काफी पुराना आलू होने के कारण नया आलू काफी सस्ता बिक रहा है जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। फिलहाल दिसंबर में आलू का भाव सुधरने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने बताया कि बीते वर्ष इसी दौरान करीब आलू का पैकेट 1000 रुपयों में बिक रहा था।
जिला उद्यान अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने एफबीडी न्यूज को बताया कि गतिरोध के कारण आलू नेपाल नहीं जा पा रहा है आलू की सबसे बड़ी खपत नेपाल में ही होती है। दूसरे नंबर आलू की खपत पश्चिम बंगाल में होती है लेकिन वहां आलू की काफी पैदावार हुई है। उन्होंने बताया कि जिले में 109 शीतग्रह चालू है जिनकी आलू भंडारण क्षमता 779685 मेट्रिक टन है। आब शीत गृहों में करीब 5847 मेट्रिक टन आलू भंडारित है करीब आधे शीतग्रह आलू से खाली हो चुके हैं। अब शीतगृहों में किसानों का ही आलू है अधिकांश किसानों ने मंदी के कारण आलू न निकाल कर शीत ग्रह में छोड़ दिया है।








