फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) आज 23 दिसंबर को आर्य समाज के प्रखर सन्यासी व भारतीय शुद्धि आंदोलन के प्रणेता महान स्वतंत्रता सेनानी स्वामी श्रद्धानंद जी के 99 वें बलिदान दिवस पर आर्य समाज नवाबगंज में कार्यक्रम का आयोजन कर उनको श्रद्धांजलि दी गयी। इस अवसर पर यज्ञ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला आर्य प्रतिनिधि सभा फर्रुखाबाद के प्रधान आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने की। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद भारतीय इतिहास के ऐसे महान संन्यासी, समाज सुधारक और देशभक्त थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र, धर्म और समाज की सेवा में समर्पित कर दिया। उनका जन्म 22 फरवरी 1856 को पंजाब के तलवंडी ग्राम में हुआ। उनका मूल नाम मुंशी राम था।
वे प्रारंभ से ही मेधावी, साहसी और सत्यप्रिय थे। शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक सांसारिक जीवन भी जिया, किंतु अंततः उनका मन आध्यात्मिक और राष्ट्रीय सेवा की ओर उन्मुख हो गया।
महर्षि दयानंद सरस्वती के वैदिक विचारों से प्रभावित होकर मुंशी राम ने संन्यास ग्रहण किया और स्वामी श्रद्धानंद कहलाए। उन्होंने वेदों को जीवन का आधार बनाकर समाज में सत्य, नैतिकता और साहस का प्रचार किया। वे मानते थे कि धर्म का वास्तविक स्वरूप मानव सेवा और राष्ट्र उत्थान है। स्वामी श्रद्धानंद का सबसे बड़ा योगदान गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार की स्थापना है। इस संस्थान के माध्यम से उन्होंने ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित की जिसमें वेद, भारतीय संस्कृति, ब्रह्मचर्य, चरित्र निर्माण और राष्ट्रभक्ति को प्रमुख स्थान दिया गया। उनका विश्वास था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल आजीविका नहीं, बल्कि श्रेष्ठ मानव निर्माण होना चाहिए। डॉ शिवराम सिंह आर्य ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद ने शुद्धि आंदोलन के माध्यम से समाज को संगठित किया और धर्मांतरण के विरुद्ध जागरूकता फैलाई। वे छुआछूत, नशाखोरी और सामाजिक कुरीतियों के घोर विरोधी थे। स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
परंतु 23 दिसंबर 1926 को एक मतान्ध मुस्लिम अब्दुल रशीद ने धोखे से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी और इस तरह राष्ट्र और समाज की सेवा करते हुए वे शहीद हो गए। स्वामी श्रद्धानंद का जीवन त्याग, साहस और राष्ट्रभक्ति का अनुपम उदाहरण है। वे सदैव भारतीय समाज के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। देश मे आज आर्य समाज द्वारा संचालित हजारों गुरुकुल उन्ही की प्रेरणा का परिणाम हैं। कार्यक्रम में डा.हरिनंदन सिंह आर्य यशवीर आर्य रनवीर सिंह आर्य राजेश आर्य दफेदार सिंह आर्य मुन्नालाल आर्य अमित कुमार आर्य डा.नवरंगसिह आर्य आदि उपस्थित रहे।








