संकिसा नगर पंचायत पर सांसद व पूर्व मंत्री के परिजनों की भी नजर: देढ़ दर्जन उम्मीदवार

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) जिले की नई संकिसा नगर पंचायत की अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा सांसद एवं पूर्व मंत्री के परिजनों की भी निगाहे लग गई है। भाजपा सांसद मुकेश राजपूत के भतीजे राहुल राजपूत ने ग्राम बल्लम नगला में परिजनों के वोट बनवाए हैं। चर्चा है कि सपा के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव के परिजनों ने भी ग्राम सिठौली का निवासी दर्शाया है। राहुल राजपूत ने अपनी पत्नी को एवं सचिन यादव ने अपनी मां को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने तैयारी की है।

राहुल व सचिन ने टिकट दिलवाने के लिए क्षेत्रीय विधायक सुशील शाक्य से भी संपर्क किया है। भाजपा की टिकट पर ग्राम पुनपालपुर निवासी पूर्व प्रधान राकेश राजपूत ने पत्नी को प्रधान दीपक राजपूत ने मां को एवं दीपक राजपूत के करीबी मनोज राजपूत ने भी मां को चुनाव लड़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसी गांव के प्रभावशाली पंकज राजपूत ने भी मां को आप पार्टी से चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है।

बल्लभ नगला निवासी उग्रसेन राजपूत ने पत्नी को बदन सिंह राजपूत ने पत्नी को एवं सिठौली निवासी कमलेश राजपूत ने पत्नी को चुनाव लड़ाने प्रचार शुरू कर दिया है। ग्राम छछोनापुर निवासी सोनू राजपूत ने भाजपा की टिकट पर मां को अरविंद राजपूत ने पत्नी को एवं सिठौली के पूर्व प्रधान उदय प्रकाश पाल ने पत्नी को चुनाव लड़ने की तैयारी की है। संकिसा निवासी अतुल दीक्षित ने पूर्व की तरह अपने खास कारिंदे पूर्व प्रधान विशुन दयाल सक्सेना को चुनाव मैदान में उतारेंगे।

समाजवादी पार्टी से ग्राम सीगनपुर निवासी बीडीसी पंकज यादव ने पत्नी को इसी गांव के पूर्व प्रधान धर्मेंद्र यादव पत्नी को ग्राम पमरखिरिया निवासी अशोक यादव ने अपनी बेटी को ग्राम हमीर खेड़ा निवासी सोनू यादव अपनी पत्नी को ग्राम दहलिया निवासी गौरव यादव ने पत्नी को चुनाव लड़ाने का मन बनाया है। ग्राम अर्जुनपुर निवासी मनोज पाल बीएसपी की टिकट पर दांव लगाएंगे। सभी उम्मीदवारों ने टिकट की जुगाड़ के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं।

पंकज यादव व अशोक यादव, सुबोध यादव के समर्थक बताए गए जबकि धर्मेंद्र यादव को नरेंद्र सिंह का समर्थक माना जाता है। बदन सिंह यादव सांसद का प्रतिनिधि बताते हैं जबकि सोनू राजपूत भाजपा नेता व विधायक सुशील शाक्य के करीबी है। नगर पंचायत क्षेत्र में यादवों की संख्या सर्वाधिक है जबकि लोधी व दलित दूसरे नंबर पर हैं। उसके बाद ब्राह्मण, पाल शाक्यों का नंबर आता है।

गेम चेंजर मानने वाले ब्राह्मण चुनाव मैदान से बाहर हो जाने के कारण मायूस है। जो जनप्रतिनिधि से नाराजगी के कारण चुनाव में अपनी भड़ास निकाल सकते है।
(यश वर्मा की रिपोर्ट)

 

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