फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) जिले की शमशाबाद नगर पंचायत के अलेपुर क्षेत्र की खुदाई में भगवान बुद्ध की कई मूर्तियां गज स्तंभ व भिक्षा पात्र मिलने से बौद्ध धर्मियों व अंबेडकर वादियों में खुशी की लहर दौड़ गई। पूर्व सभासद राम लडैते दिवाकर कई दशकों पूर्व पट्टे पर मिली 14 बीघा जमीन को समतल करने के लिए मिट्टी की खुदाई करवाते है। इसी खुदाई में करीब एक दर्जन भगवान बुद्ध की कई मूर्तियां सम्राट अशोक कालीन गज स्तभ व अवशेष निकले।
राम लड़ैते ने समझा कि देवी की मूर्तियां हैं उन्होंने सभी मूर्तियों को अपने खेत में लगे पीपल के बृक्षों के नीचे रख दिया। मूर्ति स्थल का खेड़ा वाली देवियों का नामांकरण कर दिया। गांव की महिलाएं देवी समझकर मूर्तियों की पूजा करने लगी। काशी में ज्ञानवापी मंदिर की पुरातत्व विभाग के द्वारा गहराई से जांच पड़ताल किए जाने की खबर को रामलड़ैते ने गंभीरता से लिया। रामलडैते ने एक सुरक्षित मूर्ति की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दी।
तो देखने वालों ने बताया कि यह मूर्ति भगवान बुद्ध की है। यह जानकारी मिलते ही रामलड़ैते के परिजनों में खुशी व्याप्त हो गई। गांव के ही पेशकार शाक्य ने इस बात की जानकारी कायमगंज निवासी बौद्ध धर्मावलंबी कर्मवीर शाक्य को दी। कर्मवीर ने पेशकार को सलाह दी कि सभी मूर्तियों को घर पर लाकर सुरक्षित ढंग से रखो, कीमती मूर्तियों को कोई गायब कर सकता है। पेशकार शाक्य बीते दिन आधा दर्जन मूर्तियों को अपने घर ले गए।
जिनमें भगवान बुद्ध की दो छोटी मूर्तियां व भिक्षा पात्र सुरक्षित है। शेष खंडित मूर्तियों में भगवान बुद्ध के के सिर वाली है सभी मूर्तियां काले पत्थर की है। रामलड़ैये दिवाकर ने बताया कि खेत में पीपल के पेड़ के पास करीब ढाई फीट लंबी व सवा फीट चौड़ाई वाली पत्थर की चौखट जैसी दो शिलालेख रखे है जिनका वजन करीब एक कुंटल है। दोनो शिलालेख के दोनों तरफ शेर की दो आकृतियां के बीच मूर्ति बनी है।
उन्होंने बताया कि खेरे की खुदाई में अक्सर मूर्तियां निकलती है खुदाई में और भी मूर्तियां निकल सकती हैं। कर्मवीर शाक्य ने दावा किया की ये प्राचीन मूर्तियां भगवान बुद्ध की व बौद्ध धर्म के अवशेष है। बौद्ध कालीन भिक्षा पात्र गोल होते थे पुरातत्व विभाग को इन मूर्तियों की जांच पड़ताल करनी चाहिए और खेरे की खुदाई भी करवानी चाहिए। उन्होंने बताया कि संकिसा में भगवान बुद्ध का स्तूप होने के कारण यह पूरा इलाका बौद्ध कालीन है बौद्ध व सम्राट अशोक काल के अवशेष मिलना आश्चर्य की बात नहीं है।