उर्मिला राजपूत अदालत से बरी प्रकरण: झूठा बयान देने अधिकारी की सीएम से शिकायत

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) दुरभिसन्धि के जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा अदालत में गलत बयान दिए जाने के कारण वक्फ भूमि के फर्जीवाडे के मुकदमे में पूर्व विधायक श्रीमती उर्मिला राजपूत बरी हो गई है। अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय द्वारा 4 अगस्त 23 को मुकदमा नंबर 1839/22 सरकार बनाम उर्मिला राजपूत के सुनाए गए जजमेंट के उजागर होने पर कथित रिश्वतखोर अधिकारी की कारगुजारी का खुलासा हुआ है।

नगर के मोहल्ला सर्वोदय नगर निवासी मास्टर नाहर सिंह राजपूत ने अदालत में झूठे बयान देने वाले तत्कालीन सर्वे वक्फ अधिकारी छोटेलाल के साक्ष्य कथन की जांच कार्रवाई कराई जाने की मांग सूबे के मुख्यमंत्री आदि अधिकारियों से की है। श्री राजपूत ने उक्त मुकदमे के वादी छोटे लाल द्वारा दिए गए साक्ष्य कथन कि मुझे मुकदमे की कोई जानकारी नहीं है। इससे ऐसा प्रतीत होता है की सर्वे वक्फ अधिकारी छोटेलाल द्वारा अभियुक्ता के साथ दुरभिसंधि की गई।

छोटेलाल के द्वारा न्यायालय में दिये गये बयान से पूर्व उनके मोबाइल नंबर के काल डिटेल निकलवा कर जांच कराए जाने की भी मांग की गई है। मालूम हो कि मास्टर नाहर सिंह राजपूत ने 2 जुलाई 20 को जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर अवगत कराया था कि पूर्व विधायक उर्मिला राजपूत ने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर वक्फ भूमि हड़प ली है।
इसी शिकायत पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने मामले की जांच कराई थी। डीएम के आदेश पर सर्वे वक्फ कल्याण अधिकारी छोटेलाल द्वारा थाना मऊदरवाजा में उर्मिला राजपूत के विरुद्ध 3/9/ 2020 को अपराध संख्या 378/20 धारा 420 467 468 एवं 471 में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
सर्वे वक्फ अधिकारी छोटेलाल के बयान को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी जगह घटना से अनभिज्ञ किसी व्यक्ति द्वारा बयान दिया गया हो।

छोटेलाल द्वारा अपनी मुख्य परीक्षा तथा प्रतिपरीक्षा में इस तथ्य की स्वीकरोक्ति की गई है कि उसने प्रकरण में किसी प्रकार की कोई जांच नहीं की थी तथा जिलाधिकारी से कोई जांच आख्या प्राप्त नहीं हुई थी। जिलाधिकारी के आदेश पर उसने जो पत्र लिखित तहरीर भेजी थी जिसमें मुकदमे से संबंधित तथ्यात्मक कोई तथ्य नहीं है। छोटेलाल द्वारा यह कहा गया कि वसीयत के आधार पर अभियुक्ता उर्मिला राजपूत का नाम अंकित होने का कोई उल्लेख नहीं है।

उसके पास सहायक सर्वे वक्फ का भी प्रभार था उसे जानकारी नहीं है कि वक्फ संख्या 184 वक्फ नम्बरान मेहंदी अली की वक्फ संपत्ति कौन-कौन सी है। छोटे लाल के बयान के सम्यक अवलोकन से न्यायालय को यह तथ्य विदित हुआ कि उक्त साक्षी द्वारा मात्र जिलाधिकारी के पत्रांक के निर्देशन में प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत कराई है। तथा इस साक्षी को प्रकरण मुकदमे की कोई जानकारी नहीं है।

जब कि दर्ज कराए मुकदमे में छोटेलाल ने कहा है कि श्रीमती उर्मिला राजपूत पत्नी रामकृष्ण राजपूत निवासी गल्ला मंडी फर्रुखाबाद जो तत्तसमय सत्तारूढ़ दल की विधायक थी, ने कदाचित कूट रचित अनुचित प्रयोग करते हुए अपने पक्ष में वसीयत के आधार पर आदेश करा लिया था।
जिससे यह प्रतीत होता है की वादी मुकदमा स्वयं ही इस संबंध में अस्वस्त नहीं था कि अभियुक्ता द्वारा पंजीकृत वसीयत के आधार पर वक्फ भूमि के संबंध में वसीयत का आदेश करा लिया गया।

अभियुक्ता के विरुद्ध जिस वादी मुकदमा द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत कराई गई है। उसने न्यायालय के समक्ष अपने बयान में यह स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि उसे मुकदमे की कोई जानकारी नहीं है। जिससे यह विदित होता है कि वादी मुकदमा द्वारा मात्र जिलाधिकारी के निर्देश पर बिना तथ्यों की जांच पड़ताल करते हुए मुकदमा पंजीकृत कराया गया है जो की एक लोक सेवक के कार्य आचरण के विपरीत है। जजमेंट में कहा गया कि वादी मुकदमा जिसके पास स्वयं सर्वे वक्फ आयुक्त का प्रभार भी था उसकी यह जिम्मेदारी थी कि वह प्रकरण की जांच करने के उपरांत प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत कराता।

किंतु वादी मुकदमा द्वारा ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया। मुकदमे में अभियोजन पक्ष द्वारा अभियुक्ता को कडी सजा दिलाने का प्रयास नहीं किया गया। अभियोजन पक्ष द्वारा जिलाधिकारी द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराए जाने के आदेश की मूल प्रति दाखिल नहीं की गई। मूल प्रति के स्थान पर छाया प्रति पत्रावली में दाखिल की गई जिसको अदालत ने साक्ष्य के रूप में ग्रहण किए जाने योग्य नहीं माना। मास्टर नरसिंह वर्मा द्वारा अभियोजन पक्ष की ढिलाई की भी शिकायत की जा चुकी है।

छोटेलाल ने एफबीडी न्यूज़ को बताया कि मै इस समय जनपद सुल्तानपुर में समाज कल्याण अधिकारी पद पर तैनात हूं। उन्होंने बताया कि मैने डीएम के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी मुझे रिपोर्ट के संबंध में जो जानकारी थी उसकी जानकारी ही अदालत को दी है। जजमेंट हो जाने की जानकारी पूछे जाने पर अधिकारी ने बताया कि हो गया होगा जजमेंट, मुझे जानकारी नहीं है। उर्मिला राजपूत से सांठगांठ के जवाब में बताया की उर्मिला मेरी कौन लगती है।

भूमाफिया घोषित हुई थी उर्मिला

मालूम हो कि तत्कालीन जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने पूर्व विधायक उर्मिला राजपूत को भू माफिया घोषित किया था। डीएम ने जारी किए गए आदेश में कहा कि अपंजीकृत वसीयत के द्वारा बेहद संदेहास्पद परिस्थितियों के रहते हुए भी एक अन्य अपंजीकृत वसीयत के आधार पर श्रीमती उर्मिला राजपूत पत्नी रामकृष्ण राजपूत जो तत्समय सत्तारूढ़ दल की विधायक थी। ने कदाचित अपने प्रभाव का अनुचित प्रयोग करते हुए अपने पक्ष में वसीयत के आधार पर भूमि का दाखिल खारिज कराया गया।

नाहर सिंह वर्मा ने 2 सितंबर 2020 को डीएम से शिकायत की थी कि ग्राम सभा नूरपुर स्थित खाता संख्या 155 रकवा 1.37 एकड, खाता संख्या 177 रकवा 2.28 एकड एवं खाता संख्या 145 रकवा 1.15 एकड भूमि वक्फ की सम्पत्ति है। वक्फ संख्या 184 वक्फ नवाब मेंहदी अली खां उर्फ अच्छे साहब पुत्र दूल्हा साहब निवासी मोहल्ला गोदाम थाना शमसाबाद ने उक्त वक्फ सम्पत्ति का वक्फ नामा 11 अप्रैल 1911 को अपने बडे बेटे सईद सफदर सुल्तान को जायदाद का मुतवल्ली बनाया था।

पत्रकार ने भी किया था फर्जीबाडा

सुल्तान सफदर हुसैन की मौत हो जाने पर नगर के मोहल्ला चीनीग्रान निवासी पत्रकार अजादार जैदी को इस सम्पत्ति के बारे में जानकारी हुई। तो श्री जैदी ने फर्जी अपंजीकृत वसीयत अपने नाम बनवाई और तहसीलदार की अदालत में दाखिल खारिज कराने के लिये वाद संख्या 489/91 कायम किया। तत्कालीन तहसीलदार ने 4 जून 1991 को जायदाद जैदी के नाम दाखिल खारिज कर दी।

डीएम राजू शर्मा का था कडा एक्शन

इस मामले की शिकायत मिलने पर वर्ष 1991 में डीएम राजू शर्मा ने एडीएम व सर्वे वक्फ अधिकारी को मामले की जांच सौपी, जांच में काफी अनियमिताये पाई गई। डीएम ने वाद संख्या 3/1992 की सुनवाई के दौरान तहसीलदार सदर के 4 जून 1991 के आदेश को अंतरिम आदेश देते हुये क्रियान्वयन स्थगित कर दिया था और एसडीएम सदर को दोनों पक्षो को बुलाकर विवाद निपटाने का भी आदेश दिया था।

एसडीएम ने उत्तर प्रदेश सरकार बनाम अजादार जैदी वाद संख्या 14/98 धारा 210 एलआर एक्ट संस्थापित कर सुनवाई की। एसडीएम ने 6 अगस्त 1998 को दोनों पक्षों की अनुपस्थति के कारण वाद अपास्त कर दिया था।

कुर्क की गई थी विवादित भूमि

अजादार जैदी ने विवादित भूमि पर लगे करीब 17 आम आदि के पेड बेचकर कटवा दिये थे। पेड काटे जाने पर जैदी पर जुर्माना किया गया था। जुर्माने की आरसी मिलने पर तहसीलदार सदर ने विवादित भूमि को कुर्क कर लिया था। 7 अप्रैल 2004 को नगर के उदयराज अस्पताल में हार्ट अटैक के उपचार के दौरान जैदी की मौत हो गई थी। उन दिनों पूर्व विधायक उर्मिला राजपूत की बेसकीमती जमीन पर नजर थी। उनकी जैदी से इस जायदाद को खरीदने की बातचीत भी चल रही थी।

उर्मिला ने पत्रकार की बनवाई थी फर्जी वसीयत

जैदी की मौत की जानकारी मिलने पर उर्मिला राजपूत को काफी खुशी हुई। उन्होने जैदी की मौत से एक दिन पूर्व 6 अप्रैल 2004 की तिथि में फर्जी वसीयत अपने नाम तहसील सदर के अधिवक्ता कामता प्रसाद एडवोकेट से लिखवाई थी। जिसमे पल्ला गल्ला मंडी निवासी गल्ला आढती महावीर राजपूत एवं कमालगंज निवासी राजेश वर्मा गवाह थे। उर्मिला राजपूत ने जमीन का दाखिल खारिज कराने के लिये तहसीलदार की अदालत में वाद संख्या 381/2004 दायर किया।

तहसीलदार पटेल ने किया था खेल

तत्कालीन तहसीलदार शिवबहादुर पटेल ने पूर्व विधायक के दबाब व निजी स्वार्थ के कारण 2 अगस्त 2004 को वक्फ की भूमि उर्मिला राजपूत के नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज करवा दी। श्रीमती राजपूत ने जसमई तिराहे के निकट खाता संख्या 177 रकवा 2.28 एकड से काफी भूमि रामकिशन लॉ कालेज के नाम कर दी थी। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्व विद्यालय कानपुर से लॉ कालेज की सम्वद्धता प्राप्त की। डा0 रामकृष्ण राजपूत ने कई वर्ष लॉ कालेज चलाया।

सपा सरकार में नही हुई कार्रवाई

फर्जीबाडे की जानकारी होने पर लखनऊ स्थित शिया सेंटर वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी ने 8 मई 2013 को उर्मिला राजपूत को नोटिस देकर वक्फ सम्पत्ति से अवैध कब्जा हटवाने का नोटिस दिया था तथा इस मामले में डीएम को भी कार्रवाई करने को पत्र भेजा गया था। सपा सरकार होने के कारण प्रशासन ने उर्मिला राजपूत के विरूद्ध कोई कार्रवाई नही की थी।

करीबी शिक्षक ने ही उर्मिला के खिलाफ मोर्चा खोला

वर्ष 2018 में नगर के मोहल्ला सर्वोदय नगर निवासी शिक्षक नाहर सिंह वर्मा ने उर्मिला राजपूत के फर्जीबाडे की शिकायत अल्पसंख्यक कल्याण एवं सर्वे वक्फ अधिकारी से की थी। सर्वे वक्फ अधिकारी ने 30 अक्टूबर 2018 को एसडीएम सदर को पत्र भेजकर उर्मिला राजपूत का वक्फ सम्पत्ति से अवैध कब्जा हटवाने को कहा था। पूर्व विधायक के खासम खास रहे श्री वर्मा ने उर्मिला राजपूत की अनेकों बार शासन व प्रशासन में शिकायत की थी।

जिस पर डीएम मानवेन्द्र सिंह ने गम्भीरता से जांच करवाकर कडी कार्रवाई की है। पूर्व विधायक उर्मिला राजपूत ने लॉ कालेज के निकट व्रिक फील्ड की फैक्ट्री लगाई थी, जो कई साल से बंद है।

वक्फ भूमि पर लगाई गई थी व्रिक फील्ड

मालुम हो कि उर्मिला राजपूत की पुत्रवधू उर्मिला राजपूत ब्लाक बढपुर की प्रमुख थी, उसी दौरान व्रिक फील्ड की फैक्ट्री लगाई गई थी। लॉ कालेज भवन के सामने काफी आकर्षक पूस बंगला बनाया गया है, जिसमे पंखे भी लगे है। लॉ कालेज के भवन में देखरेख करने के लिये जनपद मैनपुरी थाना एलाऊ के ग्राम अगार निवासी श्रीकिशन मिश्रा का पुत्र बलराम अपनी मां छोटी देवी एवं छोटे भाई चन्द्रकिशोर के साथ कई वर्षो से रहता है।

बेची गई वक्फ भूमि

चन्द्रकिशोर बस स्टेशन के निकट अलमारी बनाने की दुकान पर काम करता है। लॉ कालेज के मुख्य द्वार के पश्चिमी ओर सडक के किनारे ग्राम नगला खैरबंद निवासी रमेश राजपूत का दो मंजिला भवन है।

error: Content is protected !!