आर्य समाज का उद्देश्यः युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर वैदिक राष्ट का करना है निर्माण

 

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) विकास खण्ड राजेपुर के ग्राम सीढे चक्रपुर में आर्य समाज के सताब्दी समारोह का आज बड़ी धूमधाम से समापन हो गया। इस अवसर पर प्रातःकाल पूर्णाहुति यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें क्षेत्रीय जनता की भारी भीड़ उमड़ी। लोगों ने अपने परमात्मा से अपने जीवन में सुख संवृद्धि की कामना की। आचार्य संदीप आर्य व माद्री आर्या एवं पुष्पा शास्त्री ने वैदिक मंत्रों के साथ यज्ञ सम्पन्न कराया।

मध्यान्ह की सभा मे राष्ट्ररक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता समाजसेवी चिकित्सक डॉ शिवराम सिंह आर्य ने की। उन्होंने कहा कि राष्ट्र हमारे जीवन का आधार है हमारे जीवन का अस्तित्व ही राष्ट्र से है यदि राष्ट्र सुरक्षित नहीं तो हमारा जीवन भी सुरक्षित नहीं। उन्होंने कहा कि आज हमारे देश की वर्तमान दशा और दिशा दोनों ही ठीक नहीं है। धार्मिक विद्वेष,जातिवाद व के कारण आज विभिन्न समुदायों में आपस मे होता टकराव देश के भविष्य के लिए खतरा है।

राजनैतिक दलों के स्वार्थपरक नीतियों से देशवासियों में आपसी सौहार्द बिगड़ कर वैमनस्य बढ़ रहा है। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने राष्ट्र की एकता व अखण्डता पर जोर देते हुए कहा कि देश की एकता के लिए एक भाषा व एक ईश्वर व एक धर्म की उपासना को ही मान्यता देनी चाहिए। आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री ने कहा कि युवाओं में प्रेरणा जागे तभी इस देश का कल्याण संभव है। युवा पीढ़ी को सुसंस्कारित किये बिना देश का भविष्य नहीं बचाया जा सकता।

आर्य समाज का उद्देश्य युवा पीढ़ी को संस्कारवान बना के वैदिक राष्ट का निर्माण करना है। माद्री आर्या व उदिता आर्या ने देश भक्ति गीतों के द्वारा श्रोताओं को राष्ट्रभक्ति से जोड़ा, आचार्या पुष्पा शास्त्री ने मातृशक्ति के जागरण के गीत सुनाएं। आज के कार्यक्रम में बाबा श्यामानंद, सुरेंद्र आर्य,सर्वेश सिंह,राजवीर सिंह,जितेंद्र सिंह आर्य, हरिओम शास्त्री,रामजीत आर्य, रेनू आर्या,वीणा आर्या आदि उपस्थित रहे।
बीते दिन आज धर्म जागृति सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें विद्वानों द्वारा ग्राम वासियों धर्म के वास्तविक स्वरूप का बोध कराया गया। सभा मे बोलते हुए आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री ने कहा कि जो धर्म का नाश करता है धर्म उसका नाश करता है और जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है। इस लिए व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ये अत्यंत दुःखद है कि आज धर्म के नाम पर एक समुदाय दूसरे समुदाय को मार रहा है ऐसा केवल धर्म को न जानने के कारण हो रहा है क्योंकि धर्म आपस मे जोड़ना सिखाता न कि तोड़ना। तोड़ने का काम मत मज़हब में डूबे लोग करते हैं। परमेश्वर हम सभी के लिए उपदेश करते हैं कि हे मनुष्यों जो पक्षपात रहित न्याय सत्याचरण से युक्त धर्म है तुम लोग उसी को ग्रहण करो। महऋषि मनु ने कहा है कि जो सुख हम अपने लिए चाहते हैं वही व्यवहार दूसरों के साथ करना धर्म का गुण है।

गुरुकुल नाजीवाबाद से आयीं कु. माद्री आर्या व उदिता आर्या ने युगल स्वर में शहीद भगत सिंह की जीवन गाथा सुनाकर मातृशक्ति को अपनी संतानों को संस्कारित करने का आवाहन किया। उनके गीत “आजादी की दुलहन मेरे कफ़न की चुनरी ओढे आएगी मा घर तेरे दिन राह गए थोड़े” पर श्रोता भावविभोर हुए। पुष्पा शास्त्री ने योगिराज श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर भावी पीढ़ियों को संस्कारित करने का आवाहन किया।

ओमवीर शास्त्री, मान देव आर्य, आदि ने भी भजन सुनाये। प्रातःकाल यज्ञ आचार्य संदीप आर्य ने वैदिक मंत्रों से संपन्न कराया। यजमान सुरेंद्र आर्य सहित सभी ग्राम वासियों ने सुख सौभाग्य की वृद्धि के लिए आहुतियां प्रदान की। कार्यक्रम में श्यामानंद बाबा, सर्वेश सिंह,दिनेश सिंह,योगेंद्र आर्य आदि उपस्थित रहे।

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