वह दिया भी शामिल था मेरा घर जलाने में..: मुशायरा व कवि सम्मेलन

फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) वह दिया भी शामिल था मेरा घर जलाने में, मेरे हाथ जल गए जिसको बचाने में जब यह शेर हाशिम फिरोजाबदी ने इरशाद फ़रमाया तो मुशायरे की महफिल तालियों की गड़गड़ाहत से गूंज गई। मोहल्ला शमशेर खानी ग्राउंड पर बीती देर रात मुशायरा व कवि सम्मेलन की धूम मची। एक शाम रईस अहमद के नाम से शहर में मुशायरा व कवि सम्मेलन में देश के नामचीन शायर व कवियों ने समां बांधा। श्रम विभाग के नोडल अधिकारी सैय्यद रिजवान अली, सपा नेता अहमद अंसारी ने मुशायरे व कवि सम्मेलन की शुरुआत शमां रोशन कर की।

हाशिम फिरोजाबादी ने शायरा शहिस्ता परवीन ने जब बाग मे कोयल बोली साजन आ गए गीत पढ़ा तो लोग वाह वाह करने को खड़े हो गए। शायरा आयशा खुशनसीब ने मैं खुशनसीब हूं मैं हिंदुस्तानी हूं गीत पढ़ लोगों का दिल जीत लिया। अजमल मकनपुरी ने मैं अपने चार दिन बचाऊ तो किस तरह, तूफान टहल रहा है मेरे घर के आस-पास। डा. आसिम मकनपुरी ने ख़ामियां मेरी दिखाता था मुझे मैंने आईना पलटकर रख दिया। हास्य कवि दिलीप दुबे को सुन लोग हंस हंसकर लोटपोट हो गए। शाहबाज तालिब ने एक मुजाहिद मेरी बस्ती से नहीं निकलेगा, सौ मुनाफ़िक़ मेरे लश्कर से निकल आयेंगे शहर पढ़ा। पपलू लखनवी ने मैंने दाढ़ी बनाई तो कहने लगी अब कमीना ये हूरों के चक्कर में है शेर पढ़ा।
कवि विशाल विशेष ने एक कली पर बैठे है कितने भवरे, कहते हो निगरानी है हैरानी है।

इसके अलावा कई अन्य शायरों व कवियों ने समां बांधा। देर रात तक लोग शायरों और कवियों को सुनने को डटे रहे। मुख्य अतिथि अविनाश सिंह विक्की, सदारत श्रम विभाग नोडल अधिकारी सदारत सैय्यद रिजवान अली ने और कनवीनर हाजी अहमद अंसारी ने की। आयोजकों में फैसल रईस, आफाक खान, आरिफ खान, शरजील पाशा, दानिश मिर्जा, असगर हुसैन, फुरकान अहमद, पुष्पेंद्र भदौरिया, हाजी दिलशाद, रफी अहमद, खुर्शीद अहमद, हाजी बिलाल अहमद आदि मौजूद रहे।

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