फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) नगर में बीती रात मुशायरा व कवि सम्मेलन में देश के नामचीन शायरों की शायरी के लोग दीवाने हो गये। एक मुद्दत से अपने काम पे हूं जैसे जिंदा ही तेरे नाम से हूं इश्क का आखिरी मकाम है मौत और मैं आखिरी मकाम पर हूं जब यह शेर रुबीना अयाज ने इरशाद फ़रमाया तो मुशायरे की महफिल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गई। पूरी रात मुशायरे और कवि सम्मेलन की महफिल गुलजार रही। कवियों के काव्यपाठ और शायरों की शायरी लोगों को खूब गुदगुदाती रही।
शहर के मोहल्ला शमशेर खानी ग्राउंड पर मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। आल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन में देश के नामचीन शायर व कवियों ने पहुंचकर समां बांधा। श्रम विभाग के नोडल अधिकारी सैय्यद रिजवान अली, सैयद शाह फसीह मुजीबी ने मुशायरे व कवि सम्मेलन की शुरुआत शमां रोशन कर की। शायर डा. आसिम मकनपुरी ने कलाम पड़ा कि खामिया मेरी दिखाता था मुझे मैंने आईना ही पलट कर रख दिया। हिलाल बदायूंनी ने पहले मुझ पर बिलीव कर लेना फिर मोहब्बत अचीव कर लेना, शाम को तुझसे बात करनी है फोन मेरा रिसीव कर लेना।
शायरा आयशा खुशनसीब ने मैं खुशनसीब हूं मैं हिंदुस्तानी हूं गीत पढ़ लोगों का दिल जीत लिया। जमाल हसनपुरी ने आ गया चांद मेरा आज मेरी महफिल में अब चिरागों को जलाने की जरूरत क्या है। सलमान जफर ने नाराज पड़ोसी मेरे जनाजे में आ गया सिलवट एक और मेरे कफन से निकल गई। वकार फराजी ने भूल जाने की तुझे जब भी कसम खाई है बेवफा मुझको और भी तेरी याद आई है। राम मोहन शुक्ला ने ऐसे इतराया न करो इतना इत्र भी न लगाया करो, गली तक महक जाती है ऐसे चक्कर न लगाया करो। अभिश्रेष्ठ तिवारी ने लखनवी ने होके सलीके के नहीं होते हैं सब अरब वाले मदीने के नहीं होते हैं।
मशकूर ममनून ने दूसरा उसको मिल गया कोई आखिरी आदमी नहीं थे हम। हास्य कवि नौशाद अंगड ने ऐसा किया मजाक मेरी जिंदगी। दिलीप कश्यप, स्मृति अग्निहोत्री, उपकार मणि आदि ने काव्यपाठ किया। मुख्य अतिथि पूर्व ब्लाक प्रमुख राशिद जमाल सिद्दीकी, इजहार खान, फुरकान अहमद, हाजी असलम अंसारी, अजय प्रताप सिंह, फैसल रईस, आफाक खान, शकील खान, आरिफ खान, शरजील पाशा, दानिश मिर्जा, असगर हुसैन, अराफात खान, शाहरुख खान, फैजान खान, पुष्पेंद्र भदौरिया, सगीर अहमद एडवोकेट, रफी अहमद, मुख्तार अहमद टेनी, खुर्शीद अहमद, हाजी बिलाल अहमद आदि मौजूद रहे।