फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) आर्य समाज के 150 वें स्थापना वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में आर्य समाज कमालगंज द्वारा ग्राम फत्तेपुर राव साहब में युवा चरित्र निर्माण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें आर्य समाज के विद्वानों द्वारा बालक बालिकाओं को नैतिक संस्कारों की शिक्षा दी गयी। सर्व प्रथम सामूहिक यज्ञ का आयोजन किया गया। सभी ग्राम वासियों ने यज्ञ में आहुतियां प्रदान कर ईश्वर से सुख संवृद्धि की कामना की। यज्ञ के यजमान संतोष आर्य व उर्मिला आर्या ने सपरिवार आहुतियां प्रदान कर विद्वानों का सत्कार किया।
आर्य समाज के पुरोहित आचार्य संदीप आर्य ने वैदिक मंत्रों से यज्ञ सम्पन्न कराया। उन्होंने कहा कि आर्य समाज का लक्ष्य युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाना है। आज पाश्चात्य जीवन शैली के बढ़ते दुष्प्रभाव से युवा पीढ़ी संस्कारों से दूर होती जा रही है। जिसके परिणाम स्वरुप युवक युवतियों का चारित्रिक पतन होता जा रहा है शहरों की देखा देखी व मोबाइल आदि के दुरुपयोग के कारण आज ग्रामीण परिवेश भी बिगड़ने लगा है। आर्य समाज अपने स्थापना काल से ही समाज मे व्याप्त कुरीतियों व पाखंडों के खिलाफ संघर्ष शील रहा है साथ ही आर्य वीर दल के माध्यम से युवा पीढ़ी को राष्ट्रभक्त व संस्कार वान बनाने के लिए निरंतर कार्य करता रहा है।
अपने गौरवशाली 150 वर्ष पूर्ण करने के साथ इस संकल्प के साथ कि युवा पीढ़ी को नैतिकता का पाठ पढ़ाते हुए उनके अंदर राष्ट्रभक्ति व माता पिता की सेवा की भावना का बीजारोपण करना इन्हीं पवित्र भावों के उद्देश्य कोलेकर ग्राम जागरण अभियान के अंतर्गत युवा चरित्र निर्माण व संस्कार शिविरों की श्रखंला का आयोजन किया जा रहा है। श्रीमती उर्मिला आर्या ने अपने मधुर भजनों के माध्यम से ईश्वर भक्ति व पारिवारिक एकता पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि आज बेटी को दहेज नहीं वल्कि संस्कार देकर भेजने की आवश्यकता है संस्कारवान बेटी दोनों परिवारों को स्वर्ग बना सकती है।
आर्य समाज का उद्देश्य बेटियों को बेटों के बराबर शिक्षा देकर उन्हें उच्च स्थान प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती के आने से पूर्व महिलाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय थीं सर्वप्रथम स्वामी जी ने कन्याओं के लिए कन्या गुरुकुल खुलवाकर उन्हें संस्कृत आदि शास्त्रों को पढ़ने का अधिकार दिलाया जिसका परिणाम है कि आज बेटियां हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहीं हैं। रमेश आर्य में कहा कि मातृशक्ति की अज्ञानता के कारण निरंतर पाखंड बढ़ रहा है तथा ढोंगी गुरुघंटाल महिलाओं को मूर्ख बना कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं आर्य समाज के सत्संग में आकर हम इन पाखंडों से बच सकते हैं।
घनशयाम आर्य ने ईश्वर के स्वरूप का वर्णन करते हुये कहा कि परमात्मा संसार के कण कण में विद्यमान है उसे किसी स्थान विशेष पर ढूंढ़ने की आवश्यकता नहीं है। संतोष आर्य ने आये हए अतिथियों का सत्कार कर स्वामी दयानंद व आर्य समाज के बताए मार्ग पर चलने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि वेदों की ओर लौट कर वेदानुकूल आचरण करने से हमे सुख संवृद्धि की प्राप्ति हो सकती है इसलिए हम सभी को वेदों का स्वध्याय अवश्य करना चाहिए इस प्रकार के आयोजनों द्वारा ग्रामीण जनता को सच्चे वैदिक पथ पर लाना ही हमारा उद्देश्य है।
कार्यक्रम में प्रदीप आर्य,अंकुर आर्य,आनंद आर्य,विवेक राठौर, अशोक आर्य आचार्य रामरहीस अभिषेक, आकांक्षा राठौर,नीलम आर्या सुगाता देवी आदि उपस्थित रहे।