फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) आगरा एक्सप्रेस-वे एक्सप्रेस-वे पर अब हथियापुर तिराहे के बजाय ग्राम बरौन के बीच आकलगंज क्षेत्र में कट बनाया जाएगा। एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए करीब 4 माह पहले नाप जोख हुई थी। जनपद इटावा के कुदरकोट में लखनऊ – आगरा एक्सप्रेस-वे से मैनपुरी, फर्रुखाबाद होते हुए गंगा एक्सप्रेस-वे से मिलने वाला 91 किलोमीटर का लिंक एक्सप्रेस-वे मंजूर है। जिसमें ग्राम गांधी, बरौन, खिमसेपुर व नीबकरोरी के पास कट प्रस्तावित हैं। ग्राम हाथीपुर तिराहे के निकट कट बनाने के लिए 4 माह पहले जमीन की पैमाइश हुई थी। हथियापुर तिराहे के पास दर्जनों आवासीय व व्यवसायिक भवन बीते वर्ष पहले ही बन चुके हैं। कुछ का निर्माण अभी चल रहा है। बताया जाता है कि ग्राम अदिउली निवासी शारदा सिंह की सैकड़ों बीघा जमीन सहित 900 बीघा जमीन कट मार्ग में जा रही थी।
कुछ प्रभावशाली किसानों की भूमि जाने के कारण एक्सप्रेस- वे के कट का विरोध किया गया था। पूर्व में हुई नापजोख में 39 गांव की सूची यूपीडा की ओर से तहसील सदर को सौंपी गई थी। लेकिन अब डिजाइन में बदलाव किया गया है। तहसीलदार सदर को अब 30 गांवों की सूची भेजी गई है। जिसमें लगभग 2 हजार किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। हथियापुर तिराहे पर बनने वाला कट अब ग्राम हथियापुर व ग्राम बरौन के आकलगंज क्षेत्र में बनेगा।
संकिसा बौद्ध तीर्थस्थल के लिए यहां के कट
में भी पहले की अपेक्षा जगह कम जाएगी। नगर वासियों को एक्सप्रेस-वे पर आने-जाने के लिए ग्राम बरौन का कट नजदीक होगा। विकल्प के तौर पर बरेली हाईवे के ग्राम गांधी के पास बनने वाले कट का भी उपयोग कर सकते है। जबकि बौद्ध तीर्थस्थल संकिसा आने – जाने वाले लोगों के लिए बाबा नीबकरोरी धाम व खिमसेपुर में बनने वाला कट नजदीक पड़ेगा।
एक्सप्रेस-वे के लिए ग्राम अदिउली,आमिलपुर, आवाजपुर, बाबरपुर, रानीगढ़, बराकेशव, बरौन, बीसलपुर तराई, चकर पट्टी, गंगोली, गुतासी, हाथीपुर, जनैया सठैया, कटैया, कटरी धर्मपुर, कटरी भीमपुर, कन्हऊ याकूबपुर, रशीदपुर, सिरमौरा तराई, कटरी कंचनपुर, कुबेरपुर घाट, शिकारपुर घाट, सिठऊपुर कुर्मी, सिरौली, भगुना अतनपुर, मदनपुर, नगला बाग रठौरा, खिमसेपुर, नीबकरोरी व भटकुर्री क्षेत्र की जमीन अधिग्रहीत की जाएगी।
‘लिंक एक्सप्रेस-वे के डिजाइन में कुछ बदलाव हुआ है। इस कारण अब तहसील सदर के 30 गांव के करीब 2 हजार किसानों की भूमि अधिग्रहीत होगी। परिसंपत्तियों का मूल्यांकन करने के लिए वन विभाग, पीडब्ल्यूडी, नलकूप विभाग आदि से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट मिलते ही अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू हो जाएगी।

