फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) इस वर्ष वर्ष बीते साल की अपेक्षा ढाई गुना सस्ता आलू बिकने से किसान बर्बाद हो रहे है। आलू का भाव और गिरने की उम्मीद जाहिर की गई है। आज एशिया की सबसे बड़ी सातनपुर मंडी में आलू 451 से 571 रुपए प्रति कुंतल बिका। जबकि बीते वर्ष इसी दौरान आलू 1400 रुपए प्रति कुंतल बिका था। सस्ता आलू बिकने के कारण खेत की आधी भी लागत नहीं निकल पा रही है। उन किसानों की सबसे ज्यादा हालत खराब है जिन्होंने उगाई पर खेत लेकर एवं बीज खरीद कर आलू की फसल तैयार की है। गेहूं की बुवाई करने के कारण किसानों में जल्द से जल्द आलू खोदने की होड़ लग गई है। किसानों का मानना है कि आलू सस्ता बिकेगा लेकिन गेहूं की फसल तो तैयार कर लेंगे। शीतग्रहों में अभी भी लाखों पैकेट आलू भंडारित है।
स्थानीय बाजार में आलू न बिकने के कारण किसानों ने शीतग्रह से आलू न निकालकर छोड़ दिया है। आलू निकालने के लिए उनको 1 35 ₹ प्रति कुंतल भंडारण शुल्क देना पड़ेगा। भाजपा नेता महेंद्र कटियार ने बताया कि उनके यशोदा कोल्ड स्टोरेज में 21 हजार तथा सूरजमुखी शांति स्वरूप शीतग्रह में 18 हजार आलू के पैकेट है। किसानों द्वारा छोड़ा गया आलू शीतग्रह से निकलवा कर बाहर की मंडियों में भिजवा रहे हैं। आलू बीज निकलवाकर गायों को खाने के लिए गौशालाओं को दे रहे हैं। उन्होंने बताया इस समय नए आलू फ़सल की बिक्री से तिहाई लागत निकल पा रही है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आलू की फसल होती है। लखनऊ विधानसभा में शीतकालीन सेशन चल रहा है लेकिन अभी तक किसी भी सत्ता पक्ष एवं विपक्षी विधायक ने किसानों की इस विकराल समस्या की चिंता नहीं की है।
कोई भी विधायक सदन में आवारा पशुओं से परेशानी की भी समस्या नहीं उठाता है। यदि कभी टमाटर महंगा हो जाता है। तो पिछड़ों की पार्टी कहे जाने वाले दल का प्रवक्ता प्रोफेसर टीवी डिबेट के दौरान टमाटर दिखाकर महंगाई का रोना रोता देखा गया था। ऐसे नेताओं व पार्टी को किसान विरोधी ही कहा जा सकता है।








