फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज) मेला रामनगरिया के वैदिक क्षेत्र में जिला आर्य प्रतिनिधि सभा फर्रुखाबाद द्वारा आयोजित चरित्र निर्माण शिविर में चल रहे यजुर्वेद पारायण महायज्ञ में कल्पवासियों ने देश के सुख संवृद्धि के लिए आहुतियां भेंट की। गुरु विरजानंद आर्ष गुरूकुल फतेहगढ़ के आचार्य ओमदेव शास्त्री ने वेद मंत्रों से यज्ञ सम्पन्न कराया। यज्ञ के ब्रह्म आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री ने अपने आशीष वचन में कहा कि एक सभ्य समाज की स्थापना के लिए विचारों की पवित्रता अत्यंत आवश्यक है।
क्योंकि संसार मे आज तक कोई भी हथियारों के बल पर ज्यादा दिनों तक शासन नहीं कर सका है। विचार ही शासन करते हैं और विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के दो ही माध्यम हैं शिक्षा और सत्संग। शिक्षा के द्वारा मनुष्य ज्ञानवान होकर समाज से अविद्या अंधकार को दूर करता है क्यों की मनुष्यों के दुःख का मूल कारण अविद्या ही है। अविद्या को दूर करने के लिए हमें श्रेष्ठ गुरुओं का संग करना चाहिए।
सत्संग के द्वारा मनुष्य अपने चित्त को पवित्र कर ईश्वर की कृपा को प्राप्त करता है। आचार्य संदीप आर्य ने कहा कि सज्जनों की संगति करने वाल हमेशा लाभ में रहता है। अच्छे लोगों की संगति से सद्गति प्राप्त होती है। ईश्वर ने संसार की उत्पत्ति कर मनुष्यों को प्रमुख कार्य बताए हैं। पहला संसार का भला करते हुए सुखपूर्वक भोग करना और दूसरा श्रेष्ठ कर्मों को करते हुए मोक्ष को प्राप्त करना है।
आर्य समाज का सत्संग करने से हमें शुभ कर्मों की प्रेरणा मिलती है इसलिए लोगों को आत्मकल्याण के लिए आर्य समाज से जुड़ना चाहिए। बाल उपदेशिका उदिता आर्या ने अपने गीतों के माध्यम से ईश्वर महिमा का गुणगान किया उन्होंने अपने भजन ‘ प्रभु प्यारे से जिसका संबंध है उसको हर दम आनंद ही आनंद है’ के द्वारा लोगों को प्रभु भक्ति से जोड़ा।
पडित प्रदीप शास्त्री ने अपने सुमधुर भजनों के माध्यम से विचार प्रस्तुत किये उन्होंने कहा कि “वीरभोग्या वसुंधरा” भगवान ने ये धरती वीरों के लिए बनाई है। पुरुषार्थी और परिश्रमी व्यक्ति ही ईस्वर की कृपा को प्राप्त करता है। धर्मवीर आर्य व धर्मपाल आर्य आदि ने भी भजनों के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम में हरिओम शास्त्री,अनिल आर्य,बनबारी लाल,हीरालाल आर्य,मुन्नालाल राठौर आल्हा सम्राट, स्वामी महेन्द्रानंद,शिशुपाल आर्य,अजीत आर्य,राहुल वर्मा,उदयराज आर्य,माता रत्नेश द्विवेदी,रेनू आर्या आदि मौजूद रहे।