फर्रुखाबाद। (एफबीडी न्यूज़) अब आए दिन रिश्वतखोर लेखपालों के कारनामे उजागर होने लगे हैं। तहसील सदर के रिश्वतखोर लेखपाल संजीव कुमार दुबे के द्वारा महीनों से प्रताड़ित किए जाने की शिकायत की गई है। कोतवाली फतेहगढ़ के मोहल्ला नेकपुर कलां निवासी नवल किशोर कटियार ने आज डीएम को शिकायती पत्र देकर अवगत कराया कि मैंने दो माह पूर्व अपनी जमीन के हिस्से के प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लेखपाल संजीव कुमार दुबे को कागजात दिए थे।
लेखपाल संजीव कुमार ने घर पर बुलाकर 500 रुपए लिए और दूसरे दिन प्रमाण पत्र देने के लिए तहसील बुलाया। नवल किशोर ने बताया कि मुझे शाम 4 बजे तक तहसील में बिठाया गया और 2 दिन बाद आने को कहा। जब तहसील गया तो लेखपाल ने कहा कि तहसीलदार से आदेश कराओ। तहसीलदार से भी आदेश कराकर लेखपाल को दे दिया तो लेखपाल 10-12 दिनों तक टालमटोल करते रहे। लेखपाल ने कहा कि डीएम आदेश करेंगे तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र दो।
तहसील दिवस में भी प्रार्थना पत्र दिया तब लेखपाल ने कहा कि तहसीलदार के कहने पर मैं स्वयं जांच करेंगे। पीड़ित ग्रामीण ने डीएम को अवगत कराया कि लेखपाल ने 5 – 6 बार बुलाकर कर मेरा मानसिक व शारीरिक शोषण किया है। अब लेखपाल ने धमकी दी है कि मैं सरकारी रिकॉर्ड फाडने का आरोप लगाकर तुम्हें जेल में सडवा दूंगा। नवल किशोर ने एफबीडी न्यूज को बताया कि लेखपाल संजीव कुमार ने मुझे अनंत होटल के निकट कमरे में बुलाया था।
लेखपाल ने लगाई झूठी रिपोर्ट
थाना मेरापुर के ग्राम अर्जुनपुर निवासी अनूप तिवारी ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर झूठी रिपोर्ट लगाने वाले लेखपाल विजय कुमार सिंह की आईजीआरएस पर शिकायत की है। अनूप ने बताया कि मैंने आईजीआरएस पर शिकायत की थी की ग्राम पंचायत के गाटा संख्या 1074 व 1067 पर मेला दर्ज है मेला की भूमि पर गांव के रामप्रताप व प्रबल प्रताप का कब्जा है सबमर्सिबल लगी है।
गाटा संख्या 1153 चकरोड है जिस पर उक्त लोगों ने मकान बना लिया है। श्री तिवारी ने बताया कि लेखपाल ने मेरी इस शिकायत के जवाब में रिपोर्ट दी है की गाटा संख्या 1067 मेला के नाम है जो खाली है और गाटा संख्या 1074 मेला की जमीन को चकरोड दर्शाया है। खुलेआम रिश्वत लेकर ग्रामीणों को परेशान करने वाले व झूठी रिपोर्ट लगाने वाले लेखपालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
निजी स्वार्थ होने के कारण अधिकारी भ्रष्ट कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करते। लेकिन जब लेखपालों से अधिकारी परेशान हो जाते हैं अथवा उनकी साख को बट्टा लगता है तब वह तुरंत ही लेखपालों पर कार्रवाई करते हैं।